भोपाल।मध्य प्रदेश के साढ़े चार लाख पेंशनर की महंगाई राहत तीन प्रतिशत बढ़ाई जा सकती है। इसके लिए छत्तीसगढ़ सरकार से सहमति बनाने के प्रयास किए जा रहे हैं। महंगाई राहत में वृद्धि करने के लिए दोनों राज्यों के बीच सहमति होना अनिवार्य है क्योंकि वर्ष 2000 पहले के सेवानिवृत्त कर्मचारियों को दी जाने वाली पेंशन और महंगाई राहत का वित्तीय भार दोनों राज्यों को उठाना होता है। यही वजह है कि प्रदेश में जब कर्मचारियों का महंगाई भत्ता सरकार ने आठ प्रतिशत बढ़ाकर 20 प्रतिशत किया गया, तब महंगाई राहत में पांच प्रतिशत की ही वृद्धि की गई। अब मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के निर्देश पर वित्त विभाग ने छत्तीसगढ़ सरकार को महंगाई राहत में वृद्धि करने संबंधी पत्र लिखा है।
प्रदेश के पेंशनर काफी समय से कर्मचारियों के समान महंगाई राहत देने की मांग कर रहे हैं। सरकार भी इससे सहमत है पर छत्तीसगढ़ सरकार से सहमति लेने का प्रविधान आड़े आ रहा है। वित्त विभाग ने आठ प्रतिशत महंगाई राहत में वृद्धि करने का प्रस्ताव तैयार किया था लेकिन छत्तीसगढ़ ने पांच प्रतिशत की ही सहमति दी। इसके कारण कर्मचारियों का महंगाई भत्ता आठ प्रतिशत और महंगाई राहत में पांच प्रतिशत की वृद्धि एक अक्टूबर 2021 से की गई। अब इस तीन प्रतिशत के अंतर को पाटने के लिए फिर से पहल की गई है। वित्त विभाग ने छत्तीसगढ़ सरकार से तीन प्रतिशत महंगाई राहत में वृद्धि के लिए सहमति मांगी है। यदि यह मिल जाती है तो सरकार अप्रैल से महंगाई राहत बढ़ाई जा सकती है।
पेंशनर एसोसिएशन के वरिष्ठ उपाध्यक्ष गणेश दत्त जोशी का कहना है कि मध्य प्रदेश सरकार की ओर से पत्र तो भेजा गया है पर इसकी कोई आवश्यकता नहीं है क्योंकि केंद्र सरकार इस संबंध में स्पष्ट कर चुकी है कि राज्य अपने स्तर पर निर्णय ले सकती है। वर्ष 2000 के पहले सेवानिवृत्त हुए कर्मचारियों की पेंशन और राहत का 74 प्रतिशत वित्तीय भार मध्य प्रदेश और 26 प्रतिशत छत्तीसगढ़ उठाती है।
प्रदेश सरकार नौ मार्च को प्रस्तुत होने वाले वर्ष 2022-23 के बजट में 31 प्रतिशत के हिसाब से महंगाई भत्ता व राहत के लिए प्रविधान रखा जाएगा। इसी तरह वेतन मद में तीन प्रतिशत की वृद्धि की जाएगी। अभी कर्मचारियों को 20 प्रतिशत महंगाई भत्ता दिया जा रहा है। जबकि, केंद्रीय कर्मचारियों को 31 प्रतिशत महंगाई भत्ता मिल रहा है।