शिवराज सरकार पर कर्ज लगातार बढ़ रहा है। अब वित्त विभाग ने 2 हजार करोड़ रुपए का नया कर्ज लेने के लिए नोटिफिकेशन जारी किया है। सरकार यह कर्ज 1 सितंबर को बाजार से 5 साल के लिए लेगी। वित्त मंत्री का कहना है कि यह कर्ज प्रदेश में चल रही सरकारी योजनाओं को पूरा करने के लिए लिया जा रहा है।
मंत्रालय सूत्रों का कहना है कि सरकार कोरोना के चलते बिगड़ी आर्थिक स्थिति को सुधारने के हरसंभव प्रयास कर रही है। सरकार ने तय किया है कि बड़े डिफाल्टर्स से बकाया करोड़ों रुपए वसूल करने के लिए रियायत दी जाए। इसको लेकर मुख्य सचिव ने सभी विभागों से रिपोर्ट मांगी है।
दरअसल, बड़े बकायादार चक्रवृद्धि ब्याज या पेनाल्टी लगाने के कारण सरकार का बकाया जमा नहीं कर रहे हैं। ऐसे डिफाल्टर्स को राशि जमा करने में रियायत देकर सरकार डूबे धन से राजस्व बढ़ाने पर फोकस कर रही है। इससे साफ है कि सरकार उप चुनाव और नगरीय निकाय के चुनाव से पहले अटके हुए कामों को रफ्तार देने के लिए कर्ज का सहारा ले रही है। सरकार ने इससे पहले 13 जुलाई को 2 हजार करोड़ रुपए का कर्ज बाजार से लिया था।
ढाई लाख करोड़ से ज्यादा कर्ज
मध्यप्रदेश सरकार पर अब तक 2 करोड़ 53 लाख 335 करोड़ का कर्ज हो चुका है। इसमें एक लाख 54 हजार करोड़ का कर्ज खुले बाजार का है। शेष कर्ज में सरकार को पावर बांड सहित अन्य बांड का कंपनशेशन का 7360 करोड़, वित्तीय संस्थाओं की देनदारी 10,901 करोड़, केन्द्र सरकार के ऋण एवं अग्रिम के 31 हजार 40 करोड़ सहित अन्य दायित्व 20 हजार 220 करोड़ रुपए शामिल हैं।
मुख्य सचिव तैयार करा रहे रिपोर्ट
मुख्य सचिव इकबाल सिंह बैंस ने विभागों को लिखे पत्र में कहा है कि कतिपय विभागों में विभिन्न मदों में बकाया राशि की वसूली करोड़ों में लंबित है। मसलन, खनिज प्रकरण में पेनाल्टी, विलंब से दिए जाने वाले भुगतान पर सरचार्ज, डायवर्सन शुल्क रेंट आदि कई मसले हैं, जिसमें चक्रवृद्धि ब्याज और साधारण ब्याज के कारण बकाया राशि बहुत अधिक हो गई है।
ऐसे मामलों में बकाया वसूली के लिए जरूरी है कि विभाग डिफाल्टर को देय राशि में आवश्यक कंशेसन ऑफर करें, ताकि बकायादार राशि जमा करने के लिए प्रेरित हों। ब्लॉक रिकवरी में से देय राशि की योजना के मुताबिक, वसूली कर राजस्व संग्रहण बढ़ाने और प्रकरण खत्म करने के लिए यह आवश्यक है। बैंस ने इसी के मद्देनजर विभागों से ऐसी देय राशि चिन्हित कर योजना तैयार करने के लिए कहा है।
विभागों की लापरवाही से नहीं आ रही जानकारी
वित्त विभाग के सूत्रों का कहना है कि मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने बड़े बकायादारों से वसूूली करने के लिए करीब ढाई माह पहले निर्देश दिए थे। उन्होंने ऐसे प्रकरण की जानकारी तैयार करने के लिए कहा था, जिनमें सरकार के प्रयास से बकाया राशि वसूल हो सकती है, लेकिन अब तक कई विभाग इसकी रिपोर्ट तैयार नहीं कर सके हैं। ऐसे में मुख्य सचिव ने फिर विभागों को रिमाइंडर भेजकर योजना तैयार करने को कहा है, ताकि अगले सप्ताह से रिकवरी को लेकर समीक्षा बैठकें की जा सके।
कमलनाथ की मांग- श्वेत पत्र जारी करे सरकार
कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष और पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ ने मांग की है कि प्रदेश की आर्थिक स्थिति पर सरकार श्वेत पत्र जारी करे, ताकि वित्तीय प्रबंधन की स्थिति स्पष्ट हो सके। इस संबंध में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को कमलनाथ ने 26 अगस्त को पत्र भी लिखा था। उन्होंने कहा कि न तो कर्मचारियों का महंगाई भत्ता बढ़ाया गया और न ही प्रदेश की जनता को महंगाई से राहत देने के लिए प्रयास किए गए।
वित्त मंत्री बोले- विकास योजनाओं के लिए लेना पड़ता है कर्ज
सरकार द्वारा लिए गए कर्ज पर प्रदेश के वित्त मंत्री जगदीश देवड़ा ने कहा कि योजनाओं के संचालन के लिए हर सरकार को कर्ज की आवश्यकता होती है। उन्होंने विकास और जन कल्याणकारी योजनाओं के लिए यह कर्ज लिया गया है। कई व्यवस्थाओं के लिए कर्ज लेना पड़ता है। कर्जा लेकर ही तो सरकार कर्जा चुका पाती है।