भोपाल। मध्य प्रदेश में बीजेपी के राज्यसभा सांसद सुमेर सिंह सोलंकी आदिवासीवर्ग से एक बड़ा चेहरा है और इस वक्त दिल्ली के बड़े नेताओं में उनकी जबरदस्त पकड़ देखने को मिल रही है। पार्टी आलाकमान भी यही चाहती है कि मध्य प्रदेश में कोई बड़ा आदिवासी चेहरा हो। बीजेपी इस बक्त आदिवासी नेतृत्व की कमी से जूझ रही हैं और अब पार्टी नया और युवा नेतृत्व तैयार करने की तैयारी में हैं। राष्ट्रीय की सहमति और प्रदेश कार्यसमिति की बैठक के बाद इस पर निर्णय हो सकता है।
भाजपा में केंद्रीय राज्य मंत्री फग्गन सिंह कुलस्ते को छोड़ दिया जाए तो कोई ऐसा आदिवासी नेता नहीं है, जिसकी प्रदेश के सभी अंचलों पर पकड़ हो। कांग्रेस छोड़कर भाजपा में आए नेता दिलीप सिंह भूरिया के निधन के बाद से पार्टी बड़े चेहरे की कमी से जूझ रही है। महिला नेत्री रंजना बघेल भी वर्ष 2018 का विधानसभा चुनाव हारने के बाद से हाशिए पर हैं। पहले रंजना बघेल मालवांचल में आदिवासी वर्ग का बड़ा चेहरा थीं। जय आदिवासी युवा शक्ति संगठन (जयस) के खिलाफ लड़ाई भी रंजना ने अकेले लड़ी थी। यही वजह है कि पार्टी अब मप्र से राज्यसभा सदस्य सुमेर सिंह सोलंकी पर दांव लगाने की तैयारी में है।
शिवराज कैबिनेट में लंबे समय से आदिवासी चेहरे के नाम पर विजय शाह मंत्री जरूर हैं, लेकिन उनकी निमाड़ के बाहर कोई पकड़ नहीं है। राजघराने से होने के कारण आदिवासियों के बीच उनका प्रभाव नहीं है। अन्य मंत्री प्रेम सिंह पटेल हों या मीना सिंह, इनका प्रभाव विधानसभा क्षेत्र के बाहर नहीं है। भाजपा ने ओमप्रकाश धुर्वे को राष्ट्रीय पदाधिकारी बनाया, लेकिन वे भी प्रदेश में कोई पहचान नहीं बना पाए। यही वजह है कि भाजपा को कांग्रेस से आयातित नेता बिसाहू लाल सिंह और सुलोचना रावत के सहारे काम चलाना पड़ रहा है।
भाजपा के प्रदेशाध्यक्ष विष्णु दत्त शर्मा ने पीढ़ी परिवर्तन के नाम पर जिन आदिवासी चेहरों को आगे बढ़ाया, वे भी कोई करिश्मा नहीं दिखा पाए। भाजपा अनुसूचित जनजाति मोर्चा के प्रदेशाध्यक्ष रहे गजेंद्र सिंह पटेल को भी पार्टी ने आगे बढ़ाया, पर वे लोकसभा चुनाव जीतने के बाद से सक्रिय नहीं हैं। भाजपा ने 2019 के लोकसभा चुनाव में पटेल को खरगोन संसदीय सीट से टिकट दिया था। यही स्थिति महाकोशल की है। पार्टी ने यहां जिन नेताओं को आगे बढ़ाया, वे प्रदेश या राष्ट्रीय स्तर पर अपनी पहचान नहीं बना पाए। मंडला की जिला पंचायत अध्यक्ष रही संपतिया उईके को भी भाजपा ने राज्यसभा सदस्य इसी उद्देश्य से बनाया था कि आगे चलकर वे मंडला लोकसभा सीट पर फग्गन सिंह कुलस्ते का विकल्प बन सकें, लेकिन पार्टी का यह प्रयोग भी फेल हो गया।
दिल्ली में बैठे बीजेपी के विशेष सूत्रों की माने तो ख़बर ये है कि 2023 विधानसभा चुनाव के बाद मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को पार्टी ने दिल्ली भेजने की तैयारी करली हैं और सुमेर सिंह सोलंकी को पार्टी मुख्यमंत्री के चेहरे के तौर पर स्थापित करने की रणनीति बना रही हैं। अगर ऐसा न हुआ तो पार्टी सोलंकी को ताकतवर बनाने के लिए प्रदेश संगठन में या मोदी कैबिनेट में भी जगह दी जा सकती है।