इंदौर। विदेश व्यापार महानिदेशालय (डीजीएफटी) ने गेहूं के निर्यात को मुक्त श्रेणी से हटाकर प्रतिबंधित श्रेणी में डाल दिया है। शुक्रवार रात को यह आदेश सार्वजनिक हुआ। इसके असर से शनिवार सुबह मंडी खुलते ही प्रदेश की मंडियों में खलबली दिखी। गेहूं के दामों में 150 से 200 रुपये प्रति क्विंटल की गिरावट दर्ज हुई। रात को जारी आदेश इंटरनेट मीडिया के जरिए व्यापारियों तक पहुंचा तो कारोबारी उसे शरारत मान उसकी पुष्टी करने में जुट गए।
डीजीएफटी के अनुसार अब गेहूं निर्यात की अनुमति सिर्फ विशेष परिस्थितियों में ही दी जाएगी। पहली परिस्थिति ये है कि जिन निर्यात अनुबंधों में 13 मई के पहले सौदे पत्र (आइसीएलसी) जारी हो चुके हैं। गेहूं की वह खेप निर्यात हो सकेगी। इसी तरह सरकार की पूर्वानुमति से गेहूं निर्यात किया जा सकेगा। हालांकि सरकार सिर्फ अपने पड़ोसी देशों की मदद के लिए ही गेहूं निर्यात की अनुमति देगी यह भी इस आदेश में स्पष्ट किया गया है। बताया जा रहा है कि देश की घरेलु खाद्य जरुरतों को पूरा करने और खाद्य सुरक्षा के एहतियातन कदम के तौर पर डीजीएफटी के जरिए सरकार ने गेहूं निर्यात पर प्रतिबंध लगाया है। एक दिन पहले ही गेहूं की मंडी में दामों में तेजी आई थी। शुक्रवार को कांडला में गेहूं के दाम उछलकर 2600 रुपये पहुंच गए थे।
इंदौर व प्रदेश की मंडियों में खबर पहुंची थी कि बंदरगाह पर एक दो जहाज लग चुके हैं।। ऐसे में जल्दी लदान करने के लिए निर्यातक तेजी से खरीदी करने में जुटे हैं। कांडला की स्थितियों को लाभ लेने के लिए स्थानीय बाजार में भी निर्यातकों ने खरीदी तेज की थी। नए आदेश के बाद सभी निर्यातक कंपनियों ने गेहूं खरीदी तुरंत रोकने का बोल दिया। इसके बाद दाम गिर गए। कई किसान और व्यापारी आदेश के बाद घबराए हुए हैं कि जो माल लद चुका है या रास्ते में है उसका क्या होगा।किसान और छोटे कारोबारियों को अपना रुपया अटकने की आशंका परेशान करती दिख रही है।