दतिया | मध्य प्रदेश के दतिया जिले में उफनती सिंध नदी का पानी उतरने लगा है. लेकिन अब उस जगह बर्बादी के निशान दिखाई देने लगे हैं. लोग सिर पर छत के लिए परेशान हो रहे. उनका खाना-पीना, मवेशी सब बह गए हैं. हालांकि, प्रशासन मदद का दावा जरूर कर रहा है, लेकिन बाढ़ पीड़ितों को मदद की दरकार लगातार बनी हुई है.
पानी उतरने के बाद यहां चारों तरफ बर्बादी का ही मंजर है. यहां पाली और सुनारी गांवों के ग्रामीणों की छत छिन गई. लोगों को राहत कैम्प, सरकारी भवन और टेंटों में भेज दिया गया है. इन राहत कैम्पों में गर्भवती महिलाएं और वृद्ध भी हैं. इनक मेडिकल चैकअप की परेशानी भी खड़ी हो गई है. ग्रामीणों का दर्द यह भी है कि पानी में उनका खाने-पीने और जरूरत का सामान भी बह गया.
सिंध नदी का जलस्तर नीचे जाने के बाद रतनगढ़ के पुल के अवशेष की तस्वीरें भी सामने आईं हैं. पूरा पुल पानी के सैलाब में बह गया. चिंताजनक बात ये है कि पुल के साथ-साथ नए बन रहे पुल के पिलर भी क्षतिग्रस्त हो गए हैं. पुल के पास बना आपदा प्रबंधन टीम का ऑफिस भी बह गया है. गौरतलब है कि ग्वालियर चंबल में आसमान से बरस रही बारिश ने तांडव मचा दिया है. बाढ़ और बारिश के कारण ना सिर्फ मकान-दुकान, खेत-खलिहान, सड़क तबाह हो गया बल्कि बांधों ने तो कहर बरपा दिया. बांध के गेट खोलने से सिंधु, सीप नदी ने तबाही मचा दी और करोड़ों की लागत से तैयार हुए 6 पुल ताश के पत्तों की तरह बह गए. इनमें से चार पुल (Bridge) ऐसे थे जो 10 से 12 साल पहले ही शिवराज सरकार के दौरान बनाए गए थे. पुल बारिश और बाढ़ का बहाव नहीं झेल पाए.
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