ग्वालियर। चिकित्सा शिक्षा (Medical Education) के सिस्टम में इस समय कुछ एजेंट हावी हैं। इन एजेंटों ने मेडिकल यूनिवर्सिटी (एमयू) जबलपुर के लेकर चिकित्सा शिक्षा विभाग में अफसरों से सांठगांठ कर रखी है। यही वजह है कि नर्सिंग कॉलेजों के नियम विरुद्ध कामों का ठेका लेकर उन्हें लाभ पहुंचाने के कोई भी आदेश एजेंट निकलवा रहे हैं। इसी तरह का एक आदेश सत्र 2019-20 में खुले नए निजी नर्सिंग कॉलेजों की एफीलेशन फीस आधी करने का निकलवा लिया है। एजेंटों से सेटिंग से ऐसा कराया है।
इससे मेडिकल यूनिवर्सिटी को लाखों रुपए का नुकसान होगा। मेडीकल यूनिवर्सिटी के कुलसचिव डॉ.संजय तोतड़े ने गत 18 सितंबर का एफीलेशन फीस घटाने का नोटिफिकेशन निकाला है। इसमें नए नर्सिंग कॉलेजों की फीस तो पचास फीसदी घटाई ही है, वहीं पुराने जो नर्सिंग कॉलेज सत्र 2019-20 से कोई नए कोर्स खोल रहे हैं, उन्हें भी अब आधी फीस ही जमा करना है। घटाई गई फीस का लाभ लेने के लिए 30 सितंबर तक ऑनलाइन आवेदन मेडिकल यूनिवर्सिटी ने मांगे हैं। अचानक फीस क्यों घटाई गई है, इसका यूनिवर्सिटी प्रबंधन ने कोई उल्लेख नहीं किया है।
सूत्रों के अनुसार इस पूरे मामले में एमयू के कुलपति प्रो.टीएन दुबे की कार्यशैली पर सवाल उठ खड़े हुए हैं। उन पर सौदेबाजी के आरोप लग रहे हैं। यूनिवर्सिटी की वित्तीय स्थिति की चिंता किए बगैर ही वीसी ने नर्सिंग कॉलेजों को लाभ पहुंचाने एफीलेशन फीस घटा दी है। दिखावे के लिए चिकित्सा शिक्षा विभाग के आदेश का हवाला दिया है। सूत्रों के अुनसार पूरे खले में कुछ एजेंटों के नाम भी सामने आए हैं। जिनमें भोपाल के हर्षवर्धन श्रंगी, तुलसी और ग्वालियर के मिलन सिंह और नरसिंह मालव के नाम शामिल हैं। इन एजेंटों ने नए नर्सिंग कॉलेज संचालकों से एफीलेशन फीस कम कराने के लिए लाखों रुपए ऐंठे हैं।