ग्वालियर। हाईकोर्ट की ग्वालियर बेंच ने गवाहों के वारंट और समन की तामिली में हो रही देरी को लेकर मुरैना एसपी पर कड़ी नाराजगी जाहिर की। कोर्ट ने मुरैना एसपी आशुतोष बागरी को व्यक्तिगत तौर पर कोर्ट में पेशी को दौरान हाजिर रहने के निर्देश दिए थे। वहीं, पेशी के दौरान उनके जवाब पर कोर्ट ने आश्चर्य व्यक्त करते हुए कहा कि हर मामला व्यक्तिगत तौर पर नहीं देख सकते हैं। इसके लिए वे मासिक समीक्षा अपने अधिकारियों के साथ करते हैं।
हाईकोर्ट ने कहा कि वारंटी तामिली और समन का काम अनुविभागीय अधिकारियों को सौंपा जाता है। इस तरह के प्रकरणों में डीजीपी के स्पष्ट आदेश हैं कि वारंट तामिली की समीक्षा करना पुलिस अधीक्षक का काम है, लेकिन अभी तक आपने डीजीपी का सर्कुलर क्यों नहीं पढ़ा है? यह समझ से परे है। इस तरह के मामलों में मुरैना पुलिस की पहले भी हाईकोर्ट खिंचाई कर चुका है। अब हाईकोर्ट ने इस मामले में प्रदेश के पुलिस मुखिया डीजीपी से स्पष्टीकरण देने को कहा है। मामले की सुनवाई 16 अगस्त को होगी।
मामला मुरैना जिले के पदम सिंह की जमानत याचिका से जुड़ा है। पदम सिंह बीते डेढ़ साल से जेल में बंद है। गवाहों को समन और वारंट तामील को लेकर हाईकोर्ट ने एसपी से सवाल पूछा था कि आपके जिले में वारंट और समन की तामिली क्यों नहीं हो पा रही है। इस पर उन्होंने कहा था कि अनुविभागीय स्तर के अधिकारी इस तरह के मामलों को देखते हैं, वह उन्हें रिपोर्ट करते हैं। खास बात यह है कि समन जमानती और गिरफ्तारी वारंट को तामील कराने के संबंध में पुलिस मुख्यालय के जारी सर्कुलर की जानकारी एसपी से कोर्ट ने चाही तो वे कागजात देखने लगे। उन्होंने इस बात को भी कहा कि सुप्रीम कोर्ट और हाईकोर्ट के इस मामले में आदेश जारी हुए हैं। इस मामले में अब हाईकोर्ट ने डीजीपी को वारंट तामिली और समन भेजने के मामले में अपना जवाब पेश करने के आदेश दिए हैं।