ग्वालियर। चंबल अंचल के सबसे बड़े जयारोग्य अस्पताल समूह में 6 साल पहले हुए स्टेशनरी घोटाले में आखिरकार पुलिस ने प्राथमिकी दर्ज कर ली है। लेकिन अभी यह प्राथमिकी सिर्फ प्रिंटिंग प्रेस संचालकों के ही खिलाफ ही की गई है। जबकि जिन कर्मचारियों की मिलीभगत से यह घोटाला हुआ है, उन्हें फिलहाल इसमें शामिल नहीं किया गया है। पुलिस ने इस मामले में भारतीय दंड विधान की धारा 420 के तहत एफआईआर दर्ज की है। जबकि इस मामले में कूट रचित दस्तावेज भी तैयार किए गए थे। इसलिए जांच के दौरान आरोपियों के खिलाफ धोखाधड़ी की अन्य धाराएं भी बढ़ाई जा सकती है।
पुलिस के मुताबिक जयारोग्य अस्पताल प्रबंधन ने 2014-15 में भोपाल की मेसर्स प्रियंका प्रिंटर्स और हाटलाइन एजेंसी प्राइवेट लिमिटेड से स्टेशनरी छपवाई थी, जबकि यह स्टेशनरी शासकीय मुद्रणालय से छपाई जानी थी। शासकीय मुद्रणालय की फर्जी एनओसी तैयार करके यह स्टेशनरी छपवाई गई और दोनों एजेंसियों को भुगतान भी कर दिया गया था। इसमें करीब तीस लाख रुपए का घोटाला हुआ था।
इस मामले में जयारोग्य अस्पताल प्रबंधन अपने स्तर पर जांच कर रहा था। जांच में गड़बड़ी पाए जाने पर अस्पताल के लेखा अधिकारी ने कंपू थाने में एक आवेदन दिया। जिसके आधार पर दोनों प्रिंटिंग प्रेस संचालकों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई है। जेएएच में स्टेशनरी मुहैया कराने के एवज में भोपाल की प्रियंका प्रिंटर्स को 22 लाख 58 हजार का भुगतान किया गया था। लेकिन जितना पैसा चुकाया गया, उतनी स्टेशनरी नहीं आई थी।
इस मामले में मेडिकल कॉलेज के डीन और जेएएच के अधीक्षक से शिकायत की गई थी। उस दौरान आशंका जाहिर की गई थी कि स्टेशनरी का फर्जी बिलो पर भुगतान कर दिया गया है। जिसमें तत्कालीन कुछ कर्मचारियों की मिलीभगत हो सकती है।जिसके बाद अस्पताल प्रबंधन ने इस पूरे मामले की जांच करवाई, तो उसका पता चला,कि स्टेशनरी प्रियंका प्रिंटर्स ने स्टेशनरी के फर्जी बिल बनाकर पैसा ऐंठा है।
वही जयारोग्य अस्पताल के अधीक्षक का कहना है कि मामले में उच्चतम लेवल की जांच हो चुकी है, जांच में जो निष्कर्ष आया था। उसके आधार पर जो निर्देश थे, उसके अनुसार दोषी पर FIR करा दी गई है और बाकी जिनके खिलाफ विभागीय जांच होनी है, उन्हें पत्र जारी कर दिए हैं।