इंदौर। होलिका पूर्णिमा का समापन शुक्रवार को शाम 6 बजकर 50 मिनट पर हुआ, जिसके साथ सूर्य का मीन राशि में प्रवेश हुआ और खरमास की शुरुआत हो गई। मान्यता के अनुसार, खरमास के दौरान मांगलिक कार्यों का आयोजन नहीं किया जाता है।
इस एक महीने की अवधि में विवाह समारोहों पर रोक रहेगी, और होलकाष्टक समेत कुल 37 दिन तक विवाह उत्सव नहीं होंगे। इसके अलावा, खरमास के दौरान दान-पुण्य करने और श्रीमदभागवत का आयोजन करने का विशेष महत्व है।
मीन संक्रांति के समय शुभ कार्य क्यों नहीं होते
ग्वालियर के ज्योतिषाचार्य सुनील चोपड़ा के अनुसार, सूर्य के मीन राशि में प्रवेश करने से खरमास की अवधि शुरू होती है। इस दौरान किसी भी शुभ कार्य का आयोजन नहीं किया जाता है। जब सूर्य कुम्भ राशि से मीन राशि में प्रवेश करते हैं, तो इसे मीन संक्रांति कहा जाता है। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, सूर्य के बृहस्पति की राशि में प्रवेश करते समय उनका प्रभाव कम हो जाता है, इसलिए इस समय शुभ कार्यों से बचा जाता है।
सूर्य और बृहस्पति की पूजा सभी शुभ कार्यों में अनिवार्य होती है, लेकिन इस समय दोनों ग्रह व्यस्त रहते हैं, जिससे मुंडन, ग्रह प्रवेश और अन्य शुभ कार्यों की मनाही रहती है।
इस अवधि में शरीर में संक्रमण का खतरा बढ़ सकता है, जिससे स्किन संबंधित समस्याएं, जैसे खुजली, दाग, और रक्त संक्रमण हो सकते हैं। इस दौरान चेचक जैसी संक्रामक बीमारियां भी बढ़ सकती हैं।
खरमास में दान-पुण्य का महत्व
खरमास के दौरान दान-पुण्य करने से जीवन में स्थिरता और कुशलता बनी रहती है। इस समय जरूरतमंदों को वस्त्र, जूते-चप्पल, अनाज आदि का दान करना और गायों को चारा खिलाना बहुत शुभ माना जाता है, जिससे जीवन में सकारात्मक फल प्राप्त होते हैं।
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