Supreme Court ने यह साफ कहा है कि प्रिवेंटिव डिटेंशन यानी एहतियातन हिरासत एक असाधारण शक्ति है जो राज्य को संविधान के अनुच्छेद 22(3)(b) के तहत दी गई है। कोर्ट ने जोर देकर कहा कि इस ताकत का इस्तेमाल बहुत सोच-समझकर और बेहद जरूरी हालात में ही होना चाहिए। अदालत ने इस ताकत का दुरुपयोग नहीं करने की सलाह दी और कहा कि किसी के खिलाफ केवल संदेह या आशंका के आधार पर उसकी स्वतंत्रता नहीं छीनी जा सकती।
जमानत शर्तों का उल्लंघन कोई बहाना नहीं
इस मामले में केरल के पलक्कड़ जिले के जिला मजिस्ट्रेट ने एक व्यक्ति को हिरासत में लेने का आदेश दिया था जो कि ‘ऋतिका फाइनेंस’ नाम की एक निजी वित्त कंपनी चलाता है। आरोप था कि उस व्यक्ति ने चार मामलों में जमानत मिलने के बाद शर्तों का उल्लंघन किया। मगर सुप्रीम कोर्ट ने साफ कहा कि यदि ऐसा था तो राज्य को संबंधित अदालत में जाकर उसकी जमानत रद्द करने की याचिका दायर करनी चाहिए थी न कि सीधे एहतियातन हिरासत का आदेश देना चाहिए था।
केरल हाई कोर्ट का आदेश भी रद्द
इस मामले में पहले केरल हाई कोर्ट ने हिरासत के आदेश को सही ठहराया था लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने हाई कोर्ट के फैसले को भी पलट दिया। कोर्ट ने 20 जून 2024 के डिटेंशन ऑर्डर और 4 सितंबर 2024 को केरल हाई कोर्ट द्वारा दिए गए फैसले को खारिज कर दिया। अदालत ने स्पष्ट किया कि केवल आशंका के आधार पर किसी को हिरासत में नहीं रखा जा सकता जब तक ठोस और कानूनी विकल्प मौजूद हों।
कोई आवेदन नहीं फिर भी डिटेंशन क्यों
कोर्ट ने यह भी पाया कि जिन चार मामलों का हवाला दिया गया उनमें से किसी में भी अभियोजन पक्ष ने यह दावा नहीं किया था कि आरोपी ने जमानत की शर्तों का उल्लंघन किया है। कोर्ट ने कहा कि अगर ऐसा कोई उल्लंघन हुआ होता तो राज्य को अदालत में आवेदन देना चाहिए था। साथ ही यह बात भी हैरान करने वाली रही कि आरोपी की पत्नी द्वारा दायर याचिका की सुनवाई में भी इन उल्लंघनों का कोई जिक्र नहीं हुआ था।
अदालत का दो टूक फैसला
Supreme Court ने स्पष्ट कर दिया कि ऐसे मामलों में एहतियातन हिरासत को सही ठहराना कानून के विपरीत होगा। कोर्ट ने यह भी कहा कि यदि राज्य चाहे तो आरोपी की जमानत रद्द करने के लिए संबंधित अदालत में याचिका दाखिल कर सकता है और उस पर स्वतंत्र रूप से विचार किया जाएगा। साथ ही कोर्ट ने यह आदेश भी दिया कि आरोपी को 10 दिसंबर 2024 को रिहा किया जाए क्योंकि अधिकतम हिरासत की अवधि पूरी हो चुकी है।