जबलपुर। पद्यविभूषण तुलसी पीठाधीश्वर जगद्गुरु स्वामी रामभद्राचार्य ने कहा है कि श्रीराम ने सीमा बढ़ाने में विश्वास किया, सीमा घटाने में विश्वास नहीं किया। हम अखंड भारत चाह रहे थे किंतु भारत के प्रथम प्रधानमंत्री की महत्वाकांक्षा ने देश का बंटवारा मजहब के आधार पर करा दिया। फिर भी हमने कहा, किसी भी धर्म को मानने वाले रघुवर और यदुवर के होकर रहना है तो रह लो किंतु बाबर का होकर नहीं रह सकते। भारत में रहना होगा तो वंदे मातरम कहना होगा। स्वतंत्रता के पश्चात यदि जाति के आधार पर आरक्षण नहीं होता तो जातिवाद कभी नहीं आता।
श्रीराम का समरस एवं समर्थ भारत विषय पर उपस्थित श्रद्धालुओं को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि जिस प्रकार यज्ञ में आमंत्रित करने में सभी देवता आ जाते हैं तो हम सब एक साथ क्यों नहीं आ सकते। श्रीराम का समरस एवं समर्थ भारत विषय पर व्याख्यान दिया। कहा- आरक्षण नहीं होता तो जातिवाद कभी नहीं आता। हमारा एक स्वर हो जाए तो सरकार हमें नहीं नचा सकती बल्कि सरकार को हम नचा सकते हैं। आज एक-एक मुकदमा चालीस से पचास वर्ष तक चलता है। भगवान श्रीराम की जन्मभूमि का मुकदमा 1949 से नौ नवंबर 2019 तक मुकदमा चला। जगद्गुरु स्वामी रामभद्राचार्य जी महाराज ने जबलपुर आगमन के दौरान पत्रकारों से चर्चा की। स्वामी रामभद्राचार्य जी सुबह 9:45 बजे जबलपुर से चित्रकूट के लिए डुमना विमानतल रवाना हुए।
समरसता पर व्याख्यान के दौरान स्वामी रामभद्राचार्य ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी अच्छा काम कर रहे हैं। कश्मीर में 370 और धारा 35ए हट गई है। यदि सामान नागरिक संहिता लग जाए। रामचरित मानस राष्ट्र ग्रंथ बन जाए। गो माता को राष्ट्र धरोहर घोषित किया जाए तो हम 10 वर्ष में ही विश्व गुरु बन जाएंगे।