नई दिल्ली। काफी समय से सरकारी एयरलाइन कंपनी एयर इंडिया को बेचने की कोशिशें हो रही थीं। आखिरकार वो दिन भी आ गया जब एयर इंडिया को किसी ने खरीद लिया। सूत्रों के अनुसार इसे खरीदने वाली कंपनी टाटा संस है। नमक से लेकर सॉफ्टवेयर तक सब कुछ बनाने वाले टाटा ग्रुप के हाथ में अब एयर इंडिया की कमान भी पहुंच चुकी है। इसी के साथ 67 सालों के बाद एयर इंडिया की टाटा ग्रुप में घर वापसी हो गई है। टाटा संस ने 15 सितंबर को एयर इंडिया को खरीदने के लिए अपनी फाइनल बोली लगाई थी।
एयर इंडिया के लिए स्पाइसजेट के प्रमोट अजय सिंह ने भी बोली लगाई थी, लेकिन सरकारी सूत्रों ने कनफर्म किया है कि टाटा संस ने एयर इंडिया के अधिग्रहण के लिए सबसे ऊंची बोली लगाई है। यह खबर उस रिपोर्ट के अगले ही दिन आ गई है जिसमें कहा गया था कि सरकार ने एयरलाइन के लिए मिनिमम रिजर्व प्राइस फाइनल कर लिया है। सरकार ने मिनिमम रिजर्व प्राइस का फैसला भविष्य के कैश फ्लो प्रोजेक्शन ब्रांड वैल्यू और विदेशी एयरपोर्ट्स पर उपलब्ध स्लॉट के आधार पर किया है।
सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार टाटा संस ने एयर इंडिया के लिए 3000 करोड़ रुपये की बोली लगाई है जो सरकार की तरफ से तय किए गए मिनिमम रिजर्व प्राइस से अधिक है। तमाम रिपोर्ट ने भी यह संकेत दिए थे कि एयर इंडिया के अधिग्रहण में टाटा संस सबसे आगे है। एयर इंडिया के पूर्व डायरेक्टर जितेंद्र भार्गव ने बताया कि टाटा ग्रुप को सरकार की तरफ से हरी झंडी मिल सकती है क्योंकि उनके पास ही यह क्षमता है कि वह बड़ी मात्रा में पैसा लगाकर घाटे में चल रही इस सरकारी एयरलाइन को उबार सकें। उन्होंने कहा कि टाटा भी एयर इंडिया को खरीदने को लेकर काफी उत्साहित है।