नर्मदापुरम: मध्य प्रदेश नर्मदापुरम के माछा स्थित सरकारी नवीन हाई स्कूल का हाल कुछ ऐसा है जिसने शिक्षा के स्तर पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। जहां स्कूल के गेट न होने के कारण जानवरों ने पूरे परिसर में गंदगी फैला रखी थी। स्कूल के अंदर शराब की खाली बोतलें मिलीं, जो स्थिति की गंभीरता को दर्शाती हैं।
स्कूल में शिक्षकों की भारी कमी है, जिससे छात्रों की पढ़ाई पर बुरा असर पड़ रहा है। 10वीं कक्षा में कुल 23 छात्र नामांकित हैं, लेकिन नियमित शिक्षकों की कमी के कारण पढ़ाई प्रभावित हो रही है। स्थायी शिक्षकों की संख्या केवल दो है, जबकि गेस्ट फैकल्टी के पांच शिक्षक हैं, जिनमें से दो हाई स्कूल और तीन प्राथमिक कक्षाओं में कार्यरत हैं। इस स्थिति का सीधा असर परिणामों पर पड़ा है, और इस साल 10वीं कक्षा का परिणाम केवल 26% रहा, जो बेहद चिंताजनक है।
स्थानीय अभिभावकों ने भी स्कूल की इस दुर्दशा पर अपनी चिंता जताई है। उन्होंने कहा कि स्कूल में न केवल शिक्षकों की कमी है, बल्कि वहां सुरक्षा और स्वच्छता के भी पर्याप्त इंतजाम नहीं हैं। शाम होते ही स्कूल परिसर एक मयखाने में बदल जाता है, जहां शराब की बोतलें पड़ी मिलती हैं। खेल के मैदान और अन्य बुनियादी सुविधाओं का भी अभाव है।
इस रिपोर्ट से साफ है कि स्कूल के खराब नतीजों का सबसे बड़ा कारण शिक्षकों की कमी और स्कूल में अव्यवस्था है। अगर इन समस्याओं पर तत्काल ध्यान नहीं दिया गया, तो आने वाले समय में शिक्षा का स्तर और गिर सकता है, जिससे छात्रों का भविष्य प्रभावित होगा।
पिछले साल भारत में 65 लाख से अधिक छात्र 10वीं और 12वीं की बोर्ड परीक्षाओं में फेल हो गए, जिनमें से सबसे ज्यादा फेल होने वाले छात्र उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश से थे। इस संदर्भ में मध्य प्रदेश के नर्मदापुरम जिले से एक चिंताजनक रिपोर्ट सामने आई है, जिसमें जिले के 18 हाई स्कूलों के 10वीं और 12वीं कक्षाओं का परिणाम 40 प्रतिशत से कम रहा है।