खरगोन। खरगोन में रामनवमी पर हुए दंगे के बाद प्रशासन ने पत्थरबाजों और उपद्रवियों के मकानों और दुकानों को बुलडोजर से जमींदोज कर दिया। इस एक्शन में प्रशासन का बुलडोजर एक ऐसे शख्स की गुमटी पर भी चल गया, जिसके दोनों हाथ ही नहीं हैं। पीड़ित वसीम अहमद का कहना है कि मैंने तो किसी पर पत्थर नहीं चलाए थे, लेकिन गुमटी तोड़कर मेरी रोजी-रोटी जरूर छीन ली गई। अब समझ नहीं आ रहा कि परिवार का गुजारा कैसे करूं। उधर संबंधित अधिकारी का कहना है कि गुमटी सरकारी जमीन पर खाली पड़ी थी।
दिव्यांग वसीम अहमद ने बताया कि वह पेंटर का काम करते थे। 2005 में आनंद नगर मंडी में काम करते समय करंट लगने से उनके दोनों हाथ काटने पड़े। उसके बाद परिवार का भरण-पोषण करने के लिए उन्होंने शहर के छोटी मोहन टाकीज इलाके में अपने रिश्तेदार की जमीन पर एक छोटी सी गुमटी डाली। जहां वे गोली, बिस्किट बेचकर जैसे-तैसे अपने परिवार का गुजारा कर रहे थे। इसी दुकान से घर का राशन-पानी लाने के अलावा बच्चों की पढ़ाई-लिखाई भी करवा रहे थे।
वसीम ने कहा- रामनवमी के दिन हुए उपद्रव में मैं शामिल नहीं था, मैंने कभी किसी पर पत्थरबाजी नहीं की। बावजूद प्रशासन ने मेरी गुमटी को मिट्टी में मिला दिया। दुकान पर बुलडोजर चलाकर उन्होंने मेरी रोजी-रोटी छीन ली। इस कार्रवाई को लेकर मुझे किसी प्रकार की सूचना भी पहले से नहीं दी गई, नहीं तो वह समय रहते संबंधित स्थान से गुमटी को हटा लेते। वसीम ने बताया कि परिवार में पत्नी और तीन बच्चों के साथ उनकी मां भी उनके साथ ही रहती है तहसीलदार योगेंद्र सिंह ने बताया कि कार्रवाई के दौरान जो गुमटी टूटी है। वह सरकारी जमीन पर खाली पड़ी थी और रिकार्ड में भी दर्ज नहीं थी। संबंधित व्यक्ति या किसी अन्य ने भी गुमटी को लेकर संपर्क नहीं किया। कार्रवाई होने के बाद अब संबंधित व्यक्ति द्वारा टूटी हुई गुमटी को अपना बताया जा रहा है।