भोपाल के बड़ा तालाब में डूबा है प्राचीन नगर, सांसद ने दिल्ली में रखा यह प्रस्ताव

भोपाल: बड़ा तालाब की अथाह जलराशि में एक प्राचीन नगर डूबा हुआ है। इस दावे के साथ भोपाल सांसद आलोक शर्मा ने संसद की स्थायी समिति को एक प्रस्ताव दिया है। शहरी मामलों की स्थायी समिति की बैठक में शर्मा ने पानी के भीतर सर्वेक्षण कर इस धरोहर को सामने लाने की वकालत की है।

नई दिल्ली स्थित संसद भवन में हुई बैठक में सांसद आलोक शर्मा ने कहा कि तालाब के किनारों पर दो बुर्ज और प्राचीन दीवारों के रूप में उस नगर के अवशेष अब भी मौजूद हैं। इसको लेकर वैज्ञानिक अध्ययन और खोज कराई जानी चाहिए, ताकि भोपाल की विरासत पर पड़ा पर्दा उठ सके।

भोपाल राजा-महाराजाओं की नगरी

  • सांसद आलोक शर्मा ने बताया कि भोपाल राजा-महाराजाओं की नगरी रही है। यहां 11वीं सदी की धरोहरें हैं। प्राचीन काल से ही इस शहर का सांस्कृतिक और धार्मिक महत्व है। इनका संरक्षण, संवर्धन और सुंदरीकरण किया जाना चाहिए।
  • बड़ा तालाब में ऐसी धरोहरों के अवशेष मौजूद हैं, जिनको लेकर कई वर्षों से दावे किए जा रहे हैं। स्थानीय लोगों के साथ ही इतिहासकार भी समय-समय पर मांग उठाते रहे हैं। इसकी खोज होना बहुत जरूरी है।
  • शर्मा ने कहा कि कई पुरातत्वविद बताते हैं कि इसमें वैदिक नगर बसा हुआ था। गोंड कालीन किले की दीवारें व बुर्ज भी इसके किनारे पर दिखाई देते हैं। ऐसे में इसकी वैज्ञानिक सर्वेक्षण कराना जरूरी है।

पुरातत्वविद पूजा सक्सेना का कहना है, ‘बड़ा तालाब के किनारे जो बुर्ज व दीवारें दिखाई देती हैं, उनके गोंड कालीन होने की संभावना है। संभव है कि बड़ा तालाब के किनारों पर गोंड राजाओं ने महल आदि बनवाया हो। यह सभी अध्ययन और खोज का विषय है। यह बात सही है कि भोपाल में 11वीं सदी की धरोहरों के अवशेष मौजूद हैं।’

एएसआई ने भी दिया था प्रस्ताव

बताया जा रहा है कि वर्ष 2009-10 में भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) के भोपाल वृत्त ने तालाब में डूबे महल और किले के अवशेष की तलाश के लिए एक प्रस्ताव तैयार किया था।

इसमें मरीन आर्कियोलॉजी के विशेषज्ञों से पानी के भीतर सर्वे कराना था। विशेषज्ञों की उपलब्धता के अभाव में केंद्र स्तर पर यह प्रस्ताव मंजूर नहीं हुआ। बाद में यह ठंडे बस्ते में चला गया।

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