खंडवा। होटल, लॉज, धर्मशाला और मैरिज गार्डन में शादी होना तो बिल्कुल आम है, लेकिन खंडवा में शनिवार को एक निजी अस्पताल में पूरे रीति-रिवाज से विवाह की रस्में निभाई गईं। दरअसल शादी से तीन दिन पहले दुल्हन एक सड़क दुर्घटना में घायल हो गई थी और उसका इलाज यहीं चल रहा था। चूंकि लगन टीप लिख जाने से शादी टल नहीं सकती थी। इसलिए वर और वधू पक्ष ने आपसी सहमति से अस्पताल में ही शादी करना तय किया, जिसके बाद दूल्हे ने यहीं पर घायल दुल्हन से शादी की।
शादी के लिए उज्जैन निवासी दूल्हा राजेंद्र चौधरी खंडवा के अवस्थी चौराहा स्थित एक निजी नर्सिंग होम में बारात लेकर पहुंचा। इस दौरान परिजनों ने अस्पताल में ही गणेश पूजन किया। दूल्हे ने घायल दुल्हन शिवानी सोलंकी के साथ सात फेरे लिए। पलंग पर ही दुल्हन की मांग भरकर वरमाला पहनाई और जीवनभर साथ निभाने का वचन दिया। शादी में डॉक्टर, नर्स और उनके स्टाफ ने घराती बनकर बारातियों का स्वागत किया और दोनों को जीवनभर खुश रहने का आशीर्वाद दिया।
अस्पताल में घायल शिवानी ने बताया कि शादी 16 फरवरी को खंडवा में दूध तलाई स्थित एक धर्मशाला में होनी थी। शादी से पहले बड़वानी जिले के जुलवानिया में मामा के यहां गई थी। 13 फरवरी की सुबह बाजार में एक वाहन की टक्कर से सीधा हाथ और सीधा पैर फ्रैक्चर हो गया। परिजन उसी दिन मुझे खंडवा ले आए और अस्पताल में भर्ती करा दिया, जिसके बाद यहां मेरा ऑपरेशन करना पड़ा।
दुल्हे के पिता सौदानसिंह व दुल्हन के पिता सुभाष ने बताया 16 तारीख की शादी थी, सारी तैयारियां हो चुकी थीं। हमारे समाज में लगन टीप लिख जाने के बाद शादी को टाला नहीं जाता। 16 तारीख को शिवानी की हालत शादी करने जैसी नहीं थी। क्योंकि उसके फैक्चर हुए हाथ और पैर का ऑपरेशन हुआ था। ऐसे में पंडित ने शिवरात्रि के दिन अबूझ मुहूर्त में शादी करने को कहा। सौदानसिंह ने बताया फिर क्या था ज्यादा मेहमानों की बजाए गिनती के बाराती लेकर आए और अस्पताल में ही शादी की सारी रस्में पूरी कीं। अस्पताल के डॉक्टर सिद्धार्थ श्रीमाली ने बताया शादी के दिन 16 फरवरी को दुल्हन का ऑपरेशन हुआ। ऐसे में उस दिन शादी नहीं करा सकते थे। परिजनों ने 18 को अस्पताल में ही शादी करने के लिए अनुमति मांगी। हमने भी शुभ कार्य के लिए अनुमति दी और स्टाफ के साथ खुद भी शामिल हुए। डॉ. कीर्ति श्रीमाली ने बताया हमने दुल्हा-दुल्हन को शुभकामनाएं देकर अस्पताल में मिठाई बंटवाई।