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Friday, October 18, 2024

जिस जगह मस्जिद वो मंदिर की जमीन पर बनी, कमेटी ने एक प्लॉट भी घेरा

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जबलपुर: संस्कारधानी जबलपुर के रांझी तहसील के मड़ई गांव में गायत्री बाल मंदिर ट्रस्ट के नाम से दर्ज जमीन पर मस्जिद निर्माण को लेकर विवाद गरमा गया है। विश्व हिंदू परिषद (विहिप) और बजरंग दल के आरोपों के बाद यह मुद्दा न केवल स्थानीय स्तर पर बल्कि राजधानी तक चर्चा का विषय बन गया है। विहिप का दावा है कि मंदिर की जमीन पर अवैध रूप से मस्जिद का निर्माण किया गया है, जबकि मस्जिद कमेटी का कहना है कि मस्जिद 50 साल पुरानी है और उनके पास सभी कानूनी दस्तावेज मौजूद हैं। मामला फिलहाल हाईकोर्ट में लंबित है।

विहिप ने दी 10 दिन की चेतावनी, कार सेवा की कोशिश

26 सितंबर को विश्व हिंदू परिषद के विभाग संयोजक सुमित सिंह ठाकुर ने प्रशासन को चेतावनी देते हुए कहा था कि अगर 10 दिनों के भीतर कार्रवाई नहीं की गई, तो नवरात्र के बाद “विवादित स्थल टूटा मिलेगा।” विहिप और बजरंग दल के सदस्यों ने मस्जिद को गिराने के लिए कार सेवा की भी कोशिश की, लेकिन पुलिस और प्रशासन की दखल के बाद मामला शांत हो गया। प्रशासन ने मामले की जांच का आश्वासन देकर हंगामा टाल दिया।

गायत्री बाल मंदिर की जमीन पर मस्जिद का निर्माण कैसे हुआ?

विवाद का मुख्य कारण खसरा नंबर 169 है, जो गायत्री बाल मंदिर ट्रस्ट और एक कोरी परिवार के नाम पर दर्ज है। विहिप का कहना है कि इस जमीन पर अवैध रूप से मस्जिद का निर्माण किया गया है। हालांकि, मंदिर ट्रस्ट या कोरी परिवार की ओर से अभी तक कोई शिकायत नहीं की गई है, जिससे मामला और पेचीदा हो गया है। विहिप का कहना है कि वह 2021 से इस जमीन के लिए लड़ाई लड़ रहे हैं, लेकिन प्रशासन की ओर से कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया है।

मस्जिद कमेटी का दावा: मस्जिद 50 साल पुरानी, सभी दस्तावेज मौजूद

मस्जिद कमेटी के सचिव दिलशाद अली ने कहा कि मस्जिद 50 साल पुरानी है और उनके पास सभी कानूनी दस्तावेज हैं। उनका कहना है कि मस्जिद का विस्तार किया जा रहा था ताकि भीड़ को संभाला जा सके। उन्होंने सवाल उठाया कि अगर जमीन गायत्री बाल मंदिर ट्रस्ट की है, तो ट्रस्ट का कोई भी व्यक्ति दस्तावेज लेकर सामने क्यों नहीं आ रहा। “क्या सारा ठेका विश्व हिंदू परिषद और बजरंग दल ने ले रखा है?” दिलशाद ने कहा।

कोर्ट में मामला लंबित, सीमांकन से स्थिति होगी स्पष्ट

मस्जिद कमेटी ने अपने दस्तावेज कोर्ट में पेश किए हैं और अब मामला न्यायालय में है। दिलशाद अली का कहना है कि सीमांकन होने पर सच्चाई सामने आ जाएगी। उन्होंने यह भी कहा कि खसरे में गलत तरीके से किसी का भी नाम दर्ज किया जा सकता है और विहिप के आरोपों का कोई ठोस आधार नहीं है।

स्थानीय लोग और प्रशासन की प्रतिक्रिया

मस्जिद के पास स्थित खेरमाई मंदिर की पुजारिन, शिवराज बाई ने कहा कि उन्हें मस्जिद से कोई परेशानी नहीं है और मस्जिद जहां 50 साल पहले थी, आज भी वहीं है। स्थानीय लोग भी इस विवाद को लेकर शांतिपूर्ण हैं और किसी प्रकार की शिकायत नहीं है।

रांझी तहसील के एसडीएम रघुवीर सिंह मरावी ने कहा कि विवादित स्थल और मस्जिद के सीमांकन की कार्रवाई जल्द की जाएगी और कानून के दायरे में ही इसका समाधान निकाला जाएगा। उन्होंने सभी पक्षों से शांति और सौहार्द बनाए रखने की अपील की है।

विहिप के सवाल

विहिप के आरोपों के मुताबिक:

  • गायत्री बाल मंदिर ट्रस्ट का कोई सदस्य क्यों सामने नहीं आ रहा है?
  • प्रशासन गायत्री बाल मंदिर के प्रतिनिधियों को तलाशने और जमीन को खाली करवाने के लिए कोई कदम क्यों नहीं उठा रहा?
  • प्रशासनिक रिपोर्ट में मस्जिद निर्माण में गड़बड़ी की पुष्टि के बावजूद कोई कार्रवाई क्यों नहीं की गई?

जबलपुर का यह मस्जिद-मंदिर विवाद एक संवेदनशील मुद्दा बन चुका है। दोनों पक्ष अपनी-अपनी जगह सही होने का दावा कर रहे हैं, और अब कोर्ट के फैसले का इंतजार है।

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