झाबुआ। जिला अस्पताल की महिला डॉक्टर ने फांसी लगाकर आत्माहत्या कर ली है। आपको बात दे की निशा ने गुरुवार रात झाबुआ के मेघनगर नाका स्थित मकान में पंखे पर दुपट्टा बांधकर फंदा लगाकर आत्महत्या कर ली। वो यहां किराए से रहती थी। 6-8 महीने पहले ही बॉन्ड पर वो झाबुआ जिला अस्पताल में नियुक्त हुईं थी। होली की छुट्टी मनाकर गुरुवार सुबह पेटलावद से झाबुआ लौटीं। दिन में ड्यूटी कर शाम साढ़े 5 बजे कमरे पर आई थीं। दूध भी लिया और किचन स्टैंड पर एक बर्तन में खाली करके रखा। तब तक सब सामान्य दिख रहा था, लेकिन रात लगभग 8 बजे के बाद से कमरे का दरवाजा नहीं खुला।
रात लगभग 9 बजे जब घरवालों के फोन निशा ने नहीं उठाए तो परिजन ने पास ही दूसरे कमरे में किराए पर रहने वाली निशा के साथ ही पदस्थ डॉ. निशा मुलेवा को कॉल किया। निशा ने दरवाजा खटखटाया। उसने पड़ोसियों को बुलाया। बहुत देर तक दरवाजा नहीं खुला तो मकान मालिक मयंक राठौर ने खिड़की का कांच पत्थर से तोड़कर अंदर देखा तो निशा फंदे पर लटकी थीं। फौरन पुलिस को सूचना दी गई। आस पड़ोस के लोग खिड़की का कांच तोड़कर अंदर गए और दरवाजा खोला। मृतक के परिजन को सूचना दी गई। वो पेटलावद से झाबुआ पहुंचे, जिसके बाद पंचनामा बनाकर रात लगभग 11 बजे शव को जिला अस्पताल भेजा गया।
निशा ने कोई सुसाइड नोट तो नहीं छोड़ा, लेकिन एक डायरी के पिछले पन्नों पर लिखा नोट जरूर मिला। पढ़ने पर लगता है कि ये घटना वाले दिन के पहले लिखा गया था। परिजन के आने के बाद पुलिस ने उनके सामने सारा सामान टटोला तो ये नोट मिला। अब मोबाइल से बाकी जानकारी निकाली जाएगी। पोस्टमॉर्टम के बाद शव पेटलावद ले जाया गया, जहां अंतिम संस्कार किया गया। जिला अस्पताल के स्टाफ ने पीएम रूम के बाहर श्रद्धांजलि दी। निशा के पिता चेनालाल भायल पटवारी हैं। उन्होंने बताया, बेटी को बड़ी मेहनत करके एमबीबीएस प्राइवेट कॉलेज से कराया था। वो पढ़ने में अच्छी थी, उसे लेकर कई सपने थे। उससे बड़ा एक भाई और एक बहन है। वो पीएससी की तैयारी भी कर रही थी। गुरुवार को घर से लौटी तो भाई से पीएससी के नोट्स लेकर आई। पिछले दिनों स्कूटर खरीदा था, उसकी सर्विसिंग करवाती हुई आई थी। सब कुछ सामान्य था।