ग्वालियर। मध्यप्रदेश की कॉपरेटिव सोसाइटी में सरकार जल्द ही राजनैतिक नियुक्तियां करने वाली थी। लेकिन हाईकोर्ट की ग्वालियर बेंच ने प्रदेश सरकार को बड़ा झटका दे दिया है। हाई कोर्ट ने फिलहाल नियुक्तियों पर रोक लगा दी है। साथ ही कॉपरेटिव सोसाइटी से संबंधित जनहित याचिका पर चार प्रतिवादियों को नोटिस जारी किया है.. दरअसल हाईकोर्ट की ग्वालियर बेंच में कॉपरेटिव सोसाइटी के चुनाव को लेकर एक जनहित याचिका दायर की गई थी।याचिका हाईकोर्ट की ग्वालियर बेंच में दायर की गयी थी। जिसमें दलील दी गयी है कि कॉपरेटिव सोसाइटी की बैंकों में चुनाव नही होने से भ्रष्ट्राचार बढ़ रहा है। अकेले ग्वालियर-चंबल अंचल में 10 हजार करोड़ से ज्यादा का घपला हुआ है। क्योंकि प्रशासक मॉनटरिंग नही कर रहे है। साथ ही प्रदेश सरकार जल्दबाजी कर अपनी पार्टी से जुड़े लोगों को उपकृत करने के लिए नियुक्तियां करने जा रही थी। जो कॉपरेटिव सोसाइटी संविधान के खिलाफ है। दरअसल प्रदेश के 38 जिलों में वर्ष 2012 से कॉपरेटिव सोसाइटी बैंकों में चुनाव नहीं हुए है।
सरकार ने उन पदों पर प्रशासकों को वर्ष 2015 से नियुक्त कर रखा है। जबकि नियम के मुताबिक प्रशासक छह महीने से ज्यादा इस पद पर पदस्थ नही रह सकते हैं। जबकि मध्य प्रदेश मे प्रशासक सालों से नियुक्त है। आपको बता दें कि प्रदेश में 4524 अपैक्स समितियों में से 4400 से आधिक संस्थाओं में प्रशासक नियुक्त है। बहरहाल अब इस जनहित याचिका पर एक सप्ताह बाद सुनवाई होगी।