ग्वालियर। हाईकोर्ट ने पति-पत्नी के रिश्ते को बचाने के लिए अनूठा आदेश दिया है। पत्नी को घर से निकालने वाले पति को हाईकोर्ट ने एक महीने अपनी ससुराल में रहने का आदेश दिया है। मुरैना निवासी पति ने 2 साल के बच्चे को अपने पास रखकर पत्नी को घर से निकाल दिया था। पत्नी ने बच्चे की कस्टडी पाने के लिए हाईकोर्ट में बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका दाखिल की थी।
बेटे को अपने पास रखा, पत्नी को घर से भगाया..
ग्वालियर के सेवा नगर में रहने वाली गीता रजक की शादी मुरैना के गणेश रजक से हुई थी, दोनों का एक बेटा भी हुआ। कुछ समय बाद दोनों में विवाद होने लगा। कुछ समय पहले गीता को गणेश और उसके परिवार वालों ने घर से भगा दिया और 2 साल के बेटे को अपने पास ही रख लिया। पति ने बच्चे को नही दिया तो, गीता ने अपने बेटे को पाने के लिए हाईकोर्ट में बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका दायर की थी। इस मामले की सुनवाई के दौरान पति गणेश को भी बुलाया गया। पति गणेश ने गीता के आरोपों को निराधार बताते हुए कहा कि गीता खुद ही घर छोड़ कर गई है, वो तो पत्नी को साथ रखना चाहता है।
हाईकोर्ट ने कहा- महीनेभर घर जमाई रहो, फिर सुनवाई करेंगे
हाईकोर्ट ने पति पत्नी की परेशनियों को सुना, पति और पत्नी ने एक दूसरे की ससुराल वालों पर बुरा बर्ताव करने के आरोप लगाए।दोनों की बातें सुनकर हाईकोर्ट ने इस मामले में अनूठा आदेश दिया। हाईकोर्ट ने पति गणेश से कहा- बेटे को पत्नी के पास ले जाओ, एक महीने तक ससुराल में जाकर रहो, फिर इस मामले की सुनवाई करेंगे।
दामाद का ख्याल रखो, बेटी का घर बचाओ
हाईकोर्ट गीता के परिजनों को भी दामाद के साथ बेहतर बर्ताव करने की हिदायत दी। हाईकोर्ट ने कहा कि दामाद का अच्छे से ख्याल रखो, बेटी का घर टूटने से बच जाएगा, बाप-बेटे बिछुड़ने से बच जाएंगे, नही तो बेटी, दामाद और 2 साल के बच्चे का जीवन खराब हो जाएगा। हाईकोर्ट का आदेश और नसीहत सुनने के बाद गीता के माता-पिता ने अपने दामाद गणेश को प्रेम और सम्मान के साथ घर में रखने का भरोसा दिलाया। माता पिता ने कहा कि हम चाहते हैं कि एक महीने में सबकुछ बेहतर हो जाए तो बेटी-दामाद एक साथ रहने लगे जाए। आदेश देने के बाद हाईकोर्ट ने कहा कि एक महीने के बर्ताव के बाद मामले को सुनेंगे।