ग्वालियर। मुरैना जिले के कैलारस कस्बे से पीलिया पीड़ित एक बच्चे को शहर के एक निजी अस्पताल में इलाज के दौरान गलत समूह का रक्त दिए जाने से उसकी हालत खराब होने लगी । परिजन की सूचना पर ड़ॉक्टर ने आशंका जताई ,कि COVID-19 की वजह से शरीर रक्त स्वीकार नहीं कर रहा है, लेकिन परिजन नें सारे परीक्षण बताकर डॉक्टर की आशंका निर्मूल कर दी। परिजन ने इस दौरान बल्ड-बैंक से दस्तावेज निकलवाए तो पता चला ,कि बच्चे को पांच यूनिट रक्त गलत समूह का दे दिया गया है। इस लापरवाही की शिकायत CMHO से की गई है, उन्होंने इस संबंध में जांच के बाद कार्रवाई का आश्वासन दिया है।
मुरैना जिले के कैलारस कस्बे के दो वर्षीय गोविंद शर्मा को पीलिया हुआ था। उसे स्थानीय अस्पताल से ग्वालियर रैफर किया गया था। ग्वालियर के कमलाराजा अस्पताल में बच्चे का रक्त-समूह B पॉजिटिव पाया गया औऱ उसे उसके रक्त समूह की दो यूनिट दी गईं। सरकारी अस्पताल की व्यवस्थाओं से असंतुष्ट परिजन बच्चे को शहर के नामचीन बाल-चिकित्सालय ‘मंगल नर्सिंग होम’ ले गए। वहां डॉक्टर्स ने उसी दिशा में चिकित्सा जारी रखते हुए पांच यूनिट रक्त बच्चे के लिए मंगवाया। अस्पताल के अनुशंसा पत्र के आधार पर श्री ब्लड-बैंक ने परिजन को एक-एक कर पांच यूनिट AB पॉजिटिव रक्त दिया, जिसे मंगल नर्सिंग होम स्टाफ ने बच्चे को दे दिया।
कुल सात यूनिट रक्त मिलने के बाद भी बच्चे की स्थिति सुधरने की जगह बिगड़ती देख परिजन ने चिंता जताई तो डॉक्टर ने COVID-19 की आशंका जताई। इस पर परिजन ने कोरोना जांचों की रिपोर्ट्स दिखाई। परिजन ने अपने स्तर से मंगल नर्सिंग होम में चढ़ाए गए रक्त की जांच की पता चला, कि बच्चे को गलत समूह का रक्त दिया गया है। गौरतलब है कि रक्त लाने के लिए अस्पताल के अनुशंसा पत्र पर रक्त-समूह लिख कर दिया जाता है, उसी के आधार पर ब्लड-बैंक रक्त देती है।
परिजन अगर खुद जागरुक न होते और समय पर गलत रक्त-समूह का रक्त बच्चे को दिए जाने का पता न चलता तो एक मासूम बच्चे की जीवन से वंचित होना पड़ सकता था। परिजन ने इस लापरवाही की शिकायत CMHO डॉ.मनीष शर्मा से की है। वह चाहते हैं कि लापरवाही करने वालों को सजा मिले ताकि भविष्य में किसी मासूम के जीन के साथ इस तरह खिलवाड़ न हो।