दमोह के इस गांव में होगी अगली कैबिनेट बैठक, इतिहास में रहा है बड़ा नाम

दमोह जिले के ऐतिहासिक गाँव सिंग्रामपुर में एक महत्वपूर्ण मंत्रिपरिषद की बैठक आयोजित की जाएगी। यह गाँव मध्य प्रदेश की वीरांगना दुर्गावती की ऐतिहासिक राजधानी के रूप में जाना जाता है, जिनका शासनकाल 16वीं सदी में रहा था।

वीरांगना दुर्गावती, जो कि गोंडवाना साम्राज्य की एक प्रमुख शासिका थीं, ने अपनी बहादुरी और नेतृत्व क्षमता से इतिहास में अमिट छाप छोड़ी। सिंग्रामपुर उन दिनों गोंडवाना साम्राज्य की एक महत्वपूर्ण प्रशासनिक और रणनीतिक केंद्र था। उनके शासनकाल में इस क्षेत्र का महत्वपूर्ण सांस्कृतिक और राजनीतिक महत्व था।

बैठक के दौरान, मंत्रिपरिषद विभिन्न विकास योजनाओं और ऐतिहासिक स्थलों के संरक्षण पर चर्चा करेगी। यह कदम सिंग्रामपुर के ऐतिहासिक महत्व को फिर से उजागर करने और स्थानीय संस्कृति को प्रोत्साहित करने का प्रयास है।

सिंग्रामपुर की सांस्कृतिक धरोहर और वीरांगना दुर्गावती के योगदान को मान्यता देने के लिए यह बैठक एक महत्वपूर्ण पहल है। इसके माध्यम से, सरकार इस क्षेत्र के विकास और संरक्षण की दिशा में महत्वपूर्ण निर्णय लेगी, जिससे स्थानीय जनता को भी लाभ होगा।

जानिए इतिहास
सिंग्रामपुर के सिंगौरगढ़ में रानी दुर्गावती का किला आज भी उनकी वीरता की कहानियां सुनाता नजर आता है। दुर्गावती कालिंजर के राजा कीर्तिसिंह चंदेल की एकमात्र संतान थीं। वर्तमान उत्तर प्रदेश के बांदा जिले के कालिंजर किले में सन् 1524 में दुर्गाष्टमी के दिन उनका जन्म हुआ था इसलिए नाम दुर्गावती रखा गया। नाम के अनुरूप ही तेज, साहस, शौर्य और सुंदरता के कारण उनकी प्रसिद्धि चहुंओर फैल गई थी। अपने राज्य के प्रति रानी का समर्पण कुछ ऐसा था कि मुगलों से लड़ते- लड़ते रानी ने अपने प्राणों का बलिदान कर दिया। दमोह-जबलपुर हाइवे पर सिंग्रामपुर गांव में रानी दुर्गावती प्रतिमा स्थल से छह किमी की दूरी पर रानी दुर्गावती का सिंगौरगढ़ का किला है।

RELATED ARTICLES
- Advertisment -

Most Popular

Recent Comments

error: Content is protected !!