MP में BJP अध्यक्ष की दौड़ तेज, कई नेता रेस में शामिल

भोपाल। मध्य प्रदेश में बीजेपी के नए प्रदेश अध्यक्ष की चयन प्रक्रिया को लेकर चर्चाएं तेज हो गई हैं। जिलाध्यक्षों के चयन के बाद, अब प्रदेश अध्यक्ष पद पर जल्द ही फैसला हो सकता है। पहले से कुछ नाम रेस में थे, लेकिन अब कुछ नए नाम भी इस दौड़ में शामिल हो गए हैं। सूत्रों के अनुसार, बीजेपी के चुनाव अधिकारी और केंद्रीय मंत्री धर्मेंद्र प्रधान भी जल्द ही मध्य प्रदेश का दौरा करेंगे और राज्य के सीनियर नेताओं से मुलाकात करेंगे। इस कारण भोपाल से लेकर दिल्ली तक हलचल मची हुई है।

वीडी शर्मा का पांच साल का कार्यकाल पूरा
मौजूदा प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा का कार्यकाल पांच साल का हो चुका है। आमतौर पर बीजेपी में प्रदेश अध्यक्ष का कार्यकाल तीन साल होता है, लेकिन वीडी शर्मा को लोकसभा चुनाव के चलते एक्सटेंशन दिया गया था। उनके कार्यकाल में पार्टी ने विधानसभा और लोकसभा चुनावों में ऐतिहासिक प्रदर्शन किया था। अब बीजेपी नए अध्यक्ष के लिए रायशुमारी कर रही है, और यह संभावना जताई जा रही है कि वीडी शर्मा को केंद्रीय संगठन में कोई बड़ी जिम्मेदारी दी जा सकती है।

रेस में शामिल प्रमुख नाम
प्रदेश अध्यक्ष के पद की रेस में बैतूल के विधायक हेमंत खंडेलवाल का नाम तेजी से उभर रहा है। वे संगठन में सक्रिय रहे हैं और कई जिम्मेदारियां निभा चुके हैं। इसके अलावा, पूर्व गृहमंत्री डॉ. नरोत्तम मिश्रा, डिप्टी सीएम राजेंद्र शुक्ल, सांसद फग्गन सिंह कुलस्ते, राज्यसभा सदस्य सुमेर सिंह सोलंकी, पूर्व मंत्री अरविंद भदौरिया और विधायक रामेश्वर शर्मा भी इस पद के संभावित दावेदार हैं।

बीजेपी का पारंपरिक फॉर्मूला
राजनीतिक जानकारों का मानना है कि बीजेपी ने मध्य प्रदेश में एक फॉर्मूला अपनाया है, जहां मुख्यमंत्री ओबीसी वर्ग से होता है, जबकि संगठन की कमान सवर्ण वर्ग के नेताओं को दी जाती है। 2003 से अब तक उमा भारती, बाबूलाल गौर, शिवराज सिंह चौहान और मोहन यादव जैसे ओबीसी वर्ग के नेताओं को सीएम बनाया गया है, जबकि संगठन की कमान सवर्ण वर्ग के नेताओं को दी गई है, जैसे कैलाश जोशी, नरेंद्र सिंह तोमर, प्रभात झा, नंदकुमार सिंह चौहान, राकेश सिंह और वीडी शर्मा। बीजेपी ने हाल ही में 62 जिलाध्यक्षों के चयन में भी इसी फॉर्मूले को अपनाया है, जहां 29 जिलाध्यक्ष सवर्ण वर्ग से हैं।

इस फॉर्मूले को देखते हुए राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि बीजेपी आगे भी यही रणनीति अपनाए रख सकती है, और इसी वजह से प्रदेश अध्यक्ष के लिए अधिकतर नाम सवर्ण वर्ग से आ रहे हैं।

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