भोपाल। वर्तमान में मानसून द्रोणिका गुना, दमोह से होकर गुजर रही है। बंगाल की खाड़ी में ओडिशा के पास कम दबाव का क्षेत्र भी बना हुआ है। इसके अतिरिक्त विदर्भ और उससे लगी मप्र की सीमा पर विंडशियर जोन (विपरीत दिशा की पूर्वी एवं पश्चिमी हवाओं का टकराव) भी बना हुआ है। इस वजह से भोपाल, नर्मदापुरम, जबलपुर, इंदौर, उज्जैन संभाग के जिलों में गरज-चमक के साथ वर्षा का सिलसिला बना हुआ है। मौसम विज्ञानियों के मुताबिक शुक्रवार को भोपाल शहर में सुबह से समय तो आसमान साफ रह सकता है, लेकिन दोपहर के बाद गरज-चमक के साथ कहीं-कहीं तेज बौछारें पड़ सकती हैं।
उधर पिछले 24 घंटों के दौरान शुक्रवार सुबह साढ़े आठ बजे तक इंदौर में 66.9, मंडला में 38, उज्जैन में 37, नर्मदापुरम में 27.2, खरगोन में 26.2, धार में 24.3, रायसेन में 15:8, भोपाल (11:6), जबलपुर में 10, खंडवा में नौ, पचमढ़ी में 7.2, बैतूल में 7.2, सिवनी में 6.2, छिंदवाड़ा में 4.2, भोपाल (एयरपोर्ट पर) 3.9, रतलाम में तीन, नरसिंहपुर में तीन, उमरिया में 0.4 मिलीमीटर वर्षा हुई। इंदौर में हुई भारी बारिश के बाद शुक्रवार सुबह कलेक्टर ने स्कूलों में अवकाश घोषित कर दिया।
मौसम विज्ञानियों के मुताबिक शुक्रवार को भी भोपाल, नर्मदापुरम, जबलपुर, इंदौर, उज्जैन संभागों के जिलों में गरज-चमक के साथ तेज बौछारें पड़ने की संभावना है। इस दौरान कहीं-कहीं भारी वर्षा भी हो सकती है।
मौसम विज्ञान केंद्र से मिली जानकारी के मुताबिक मानसून द्रोणिका जेलसमेर, कोटा, गुना, दमोह, रायपुर से होकर ओडिशा में बने कम दबाव के क्षेत्र से होते हुए बंगाल की खाड़ी तक जा रही है। विदर्भ और उससे लगी मध्य प्रदेश की सीमा पर विंडशियर जोन (विपरीत दिशा की पूर्वी एवं पश्चिमी हवाओं का टकराव) बना हुआ है। ईरान के पास एक पश्चिमी विक्षोभ भी मौजूद है। इन तीन मौसम प्रणालियों के सक्रिय रहने से मप्र के विभिन्न जिलों में रुक-रुककर वर्षा हो रही है।
मौसम विज्ञान केंद्र के पूर्व वरिष्ठ विज्ञानी अजय शुक्ला ने बताया कि शुक्रवार-शनिवार को भी भोपाल, नर्मदापुरम, जबलपुर, इंदौर, उज्जैन संभागों के जिलों में गरज-चमक के साथ तेज बौछारें पड़ने की संभावना है। इस दौरान कहीं-कहीं भारी वर्षा भी हो सकती है। उधर 24 जुलाई को बंगाल की खाड़ी में हवा के ऊपरी भाग में एक नया चक्रवात बनने के संकेत मिले हैं। इस मौसम प्रणाली के असर से 25 जुलाई से प्रदेश में कई जिलों में अतिवृष्टि भी हो सकती है। साथ ही बौछारें पड़ने का दौर तीन-चार दिन तक बना रह सकता है।