भोपाल। मंत्रिमंडल विस्तार के बाद प्रदेश में प्रशासनिक सर्जरी होगी। नव वर्ष में मुख्य सचिव को लेकर निर्णय किया जाएगा। कलेक्टर-एसपी भी बदले जाएंगे। 31 मार्च को मुख्य सचिव वीरा राणा सेवानिवृत हो रही हैं। इससे देखते हुए सरकार पहले ही मुख्य सचिव को लेकर निर्णय कर लेगी ताकि चुनाव आयोग के पाले में गेंद ही न जाए। मार्च के पहले पखवाड़े में लोकसभा चुनाव की घोषणा प्रस्तावित है। इसे देखते हुए चुनाव आयोग ने प्रशासनिक व्यवस्था बनाने के निर्देश राज्यों को दिए हैं।
इसमें 30 जून 2024 की स्थिति में तीन वर्ष से एक स्थान पर पदस्थ कलेक्टर, पुलिस अधीक्षक से लेकर निर्वाचन कार्यों से जुड़े अधिकारियों को हटाने के निर्देश दिए हैं। इसके लिए 31 जनवरी तक का समय दिया गया है। बैतूल कलेक्टर अमनबीर सिंह बैंस इस परिधि में आ रहे हैं। जून 2024 के पहले उनके बैतूल में पदस्थ रहते तीन वर्ष से अधिक हो जाएंगे। इसी तरह कुछ अन्य अधिकारी हैं, जिनको लेकर निर्णय होना है। यही स्थिति पुलिस अधीक्षकों की भी है। आयोग के निर्देश पर सामान्य प्रशासन और गृह विभाग ने तैयारी शुरू कर दी है
वहीं, मुख्य सचिव को लेकर निर्णय मुख्यमंत्री को करना है। सूत्रों का कहना है कि आचार संहिता से पहले यदि वीरा राणा को नहीं बदला गया तो फिर मुख्य सचिव का निर्णय सरकार अपनी पसंद पर नहीं कर पाएगी। उसे वरिष्ठता के आधार पर नाम प्रस्तावित करने पड़ेंगे और ऐसी सूरत में 1989 बैच के मोहम्मद सुलेमान का नाम पहले स्थान पर आएगा। इसके बाद विनोद कुमार और जेएन कंसोटिया के नाम आते हैं। ये तीनों अधिकारी 2025 में सेवानिवृत्त होंगे। विधानसभा चुनाव के समय भी यही हुआ था।
आयोग की सहमति मिलने पर वरिष्ठता के आधार पर 1988 बैच की अधिकारी वीरा राणा को वर्तमान दायित्वों के साथ मुख्य सचिव का अतिरिक्त प्रभार दिया था। हालांकि, आयोग के पाले में गेंद जाए, इसकी संभावना नहीं है। मुख्यमंत्री अपनी पंसद से अधिकारी की नियुक्ति नव वर्ष में ही करेंगे ताकि लोकसभा चुनाव को दृष्टि में रखते हुए प्राथमिकता के आधार पर काम हो सके।