ग्वालियर। मध्य प्रदेश के कूनो नेशनल पार्क में 1 महीने के भीतर 2 चीतों की मौत के बाद वन विभाग में हड़कंप मच गया है। अधिकारियों ने चीता की शिफ्टिंग के लिए केंद्र सरकार को पत्र भी भेज दिया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के इस ड्रीम प्रोजेक्ट में चीते लापरवाही का शिकार हो रहे हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने जन्म दिवस के मौके पर मध्य प्रदेश की कूनो नेशनल पार्क को चीतों की एक बड़ी सौगात दी थी। भारत में चीते पूरी तरह से विलुप्त हो चुके हैं ऐसे में अफ्रीका और नामीबिया से आए चीते भारत में रफ्तार भर्ती नजर आएंगे। लेकिन दो चीजों की मौत के बाद इस प्रोजेक्ट पर कई सवाल खड़े होने लगे हैं। 1 महीने के अंतराल में ही एक मादा और एक नर चीते की मौत से हड़कंप मचा हुआ है. कई तरह के सवाल भी उठने लगे हैं। इस बीच मध्य प्रदेश वन विभाग की ओर से बड़ी प्रतिक्रिया सामने आई है। मध्य प्रदेश वन विभाग द्वारा केंद्र सरकार और टाइगर कंजर्वेशन अथॉरिटी को पत्र लिखा गया है। विभाग ने कुछ चीतों को दूसरे स्थान पर शिफ्ट करने की बात कही है। कूनो नेशनल पार्क में उदय नाम के चीते की मौत से हड़कंप मचा हुआ है। वन विभाग का कहना है कि चीतों की देखभाल के लिए उनके पास पर्याप्त संसाधन नहीं हैं।
मध्य प्रदेश के कूनो नेशनल पार्क में 1 महीने के भीतर 2 चीतों की मौत के बाद वन विभाग में हड़कंप मच गया है। अधिकारियों ने चीता की शिफ्टिंग के लिए केंद्र सरकार को पत्र भी भेज दिया है।चीता उदय को इसी साल 18 फरवरी को 11 अन्य चीतों के साथ दक्षिण अफ्रीका से भारत के कूनो नेशनल पार्क में शिफ्ट किया गया था। इसी चीते की मौत हो गई है।चीते का सोमवार को पोस्टमार्टम किया गया था। पोस्टमार्टम रिपोर्ट भारत सरकार को भेजी गई है। पोस्ट-मॉर्टम रिपोर्ट में आई जानकारी को सार्वजनिक नहीं किया गया है। रिपोर्ट के मुताबिक चीते के हृदय और फेफड़ों के काम बंद करने के कारण मौत हुई है। ग्वालियर के वन विभाग में संभाग के कई अधिकारियों के साथ एक बड़ी बैठक भी की गई। हालांकि इस बैठक में शामिल वन विभाग के अधिकारियों ने चीते पर कुछ भी बोलने से इंकार कर दिया और कहा कि इसका जवाब संबंधित अधिकारी और वन्य जीव प्राणी विशेषज्ञ ही देंगे। अक्सर देखा जाता है कि वन विभाग के अधिकारी जल्दी चीजों से संबंधित कोई बैठक करते हैं तो उसे गोपनीय रखा जाता है। 1 दिन पहले ही चीते की मौत के बाद ग्वालियर में हुई इस बैठक में चीते चीता प्रोजेक्ट के बारे में चर्चा तो हुई लेकिन बताया कुछ नहीं गया। एपीसीसीएफ का कहना है कि यह बैठक वन विभाग की योजनाओं से संबंधित थी।
वह चीता सुस्त अवस्था में दिखाई दिया था। वह लड़खड़ते हुए और गर्दन झुकाकर चल रहा था, जबकि एक दिन पहले की निगरानी के समय चीता पूरी तरह तरह स्वस्थ बताया गया था। इसके बाद उसे मेडिकल सेंटर लाया गया लेकिन शाम 4 बजे उसकी मौत हो गई। अब चीता की मौत के बाद कई सवाल खड़े हो रहे हैं। प्रारंभिक जांच में मौत का कारण कार्डियोवैस्कुलर फेलियर निकलकर आया है। चीते का हार्ट फेल किन कारणों से हुआ, इसका पता ब्लड व अन्य सैंपल की जांच के बाद ही हो सकेगा। सैंपल जांच के लिए जबलपुर स्थित नाना देशमुख वेटनेरी साइंस यूनिवर्सिटी में जाएंगे। सूत्रों के अनुसार इस मामले में पार्क से जुड़े अधिकारियों पर गाज गिर सकती है।