उज्जैन: विश्व प्रसिद्ध ज्योतिर्लिंग महाकालेश्वर मंदिर में चैत्र कृष्ण प्रतिपदा से भगवान महाकाल की दिनचर्या में बदलाव किया जाएगा। इस दिन से गर्मी की शुरुआत मानी जाती है, और गर्मी के दिनों में राजाधिराज महाकाल का स्नान ठंडे जल से होगा। इसके साथ ही प्रतिदिन होने वाली पांच आरतियों के समय में भी बदलाव किया जाएगा।
पं. महेश पुजारी ने बताया कि महाकाल मंदिर की पूजा परंपरा में ठंड और गर्मी का असर दिखाई देता है। इन दिनों सर्दी के अनुसार भगवान की पूजा की जा रही थी, जिसमें तड़के 4 बजे भस्म आरती में भगवान को गुनगुने जल से स्नान कराया जा रहा था।
फाल्गुन पूर्णिमा पर होलिका दहन के बाद गर्मी की शुरुआत मानी जाती है, और चैत्र कृष्ण प्रतिपदा से भगवान महाकाल की पूजा और सेवा गर्मी के अनुसार की जाएगी। इस दौरान तीन आरतियों के समय में भी बदलाव होगा।
वर्तमान समय (अब तक)
– भस्म आरती: तड़के 4 से 6 बजे तक
– बाल भोग आरती: सुबह 7.30 से 8.15 बजे तक
– भोग आरती: सुबह 10.30 से 11.15 बजे तक
– संध्या पूजा: शाम 5 बजे से
– संध्या आरती: शाम 6.30 से 7 बजे तक
– शयन आरती: रात 10.30 से 11 बजे तक
चैत्र कृष्ण प्रतिपदा से 15 मार्च से नए समय के अनुसार
– भस्म आरती: तड़के 4 से 6 बजे तक
– बाल भोग आरती: सुबह 7 से 7.45 बजे तक
– भोग आरती: सुबह 10 से 10.45 बजे तक
– संध्या पूजा: शाम 5 बजे से
– संध्या आरती: शाम 7 से 7.45 बजे तक
– शयन आरती: रात 10.30 से 11 बजे तक
यह पूजा अर्चना का क्रम शरद पूर्णिमा तक चलेगा।
महाकाल मंदिर में फाल्गुन पूर्णिमा से शरद पूर्णिमा तक भगवान महाकाल की सेवा और पूजा गर्मी के अनुसार की जाती है, जबकि शरद पूर्णिमा से फाल्गुन पूर्णिमा तक सर्दी के अनुसार पूजा की परंपरा होती है। चैत्र कृष्ण प्रतिपदा से शुरू होने वाली यह गर्मी के अनुसार पूजा अर्चना 7 अक्टूबर को शरद पूर्णिमा तक जारी रहेगी।