भोपाल। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट की बैठक में कई अहम प्रस्तावों को स्वीकृति दी गई। इसमें नगरीय प्रशासन विभाग के शासकीय भूमि पर पट्टे देने की तारीख को बढ़ाने के प्रस्ताव को स्वीकृति दी गई। इसके अलावा सतना के नवीन मेडिकल कॉलेज के लिए 1589 पदों, सड़कों के कार्याकल्प के लिए 4,160 करोड़ और प्राकृतिक आपदा में मुआवजे की राशि में बढ़ोतरी की गई हैं। इसकी जानकारी गृहमंत्री नरोत्तम मिश्रा ने दी। शासकीय भूमि पर पट्टे देने की पात्रता तिथि बढ़ाई
नगरीय प्रशासन विभाग के प्रस्ताव शासकीय भूमि, नजूल भूमि, स्थानीय निकाय प्रांगणों में निवासरत गरीबों के आवासीय पट्टे देने की पात्रता तारीख को बढ़ाने का निर्णय लिया गया। कैबिनेट ने 31 दिसंबर 2014 के स्थान पर 31 दिसंबर 2020 तक पात्रता तिथि स्वीकृत करने का निर्णय लिया है। इसके अलावा मंत्रि-परिषद ने नगर पालिक निगम अधिनियम 1956 एवं मध्यप्रदेश नगर पालिका अधिनियम 1961 की कतिपय धाराओं में संशोधन किये जाने के लिए म.प्र. नगर पालिक विधि (संशोधन) विधेयक 2023 को मंजूरी दी है। यह विधेयक विभाग के अंतर्गत प्रशासित समस्त अधिनियमों के प्रावधानों को डिक्रिमिनालाइज करने के संबंध में लाया जा रहा है।
सड़कों के कार्याकल्प के लिए 4,160 करोड़ की स्वीकृति
4738 कि.मी. सड़कों का कायाकल्प करने के लिए लोक निर्माण विभाग को 4 हज़ार 160 करोड़ रुपए की अतिरिक्त स्वीकृति प्रदान की है। प्रदेश को उच्च गुणवत्ता की सड़कें प्रदान करने के लिए यह निर्णय लिया गया है। इसके लिए लोक निर्माण विभाग को उपलब्ध बैंक ऑफ सैक्शन (सूचकांक पर आधारित) की सीमा में एक मुश्त छूट प्रदान की गई है। कैबिनेट ने ग्वालियर में नवीन तहसील ग्वालियर ग्रामीण के सृजन को मंजूरी दी है। इस नई तहसील में 36 पटवारी हलके शामिल होंगे। साथ ही नवीन तहसील के लिए एक तहसीलदार, एक नायब तहसीलदार, एक सहायक ग्रेड-2 (प्रवाचक), दो सहायक ग्रेड-3, 3 भृत्य इस प्रकार कुल 8 पद की स्वीकृति दी हैं।
सतना मेडिकल कॉलेज के लिए 1589 पदों को स्वीकृति
कैबिनेट ने नवीन शासकीय चिकित्सा महाविद्यालय, सतना के संचालन हेतु शासकीय सेवा के नियमित स्थापना के 1 हजार 92 पद तथा आउटसोर्स सेवाओं के 497 पद इस प्रकार कुल 1 हजार 589 नवीन पदों की स्वीकृति प्रदान की है। सतना में शासकीय चिकित्सा महाविद्यालय और अस्पताल के निर्माण से प्रदेश के छात्रों के लिये चिकित्सा क्षेत्र के स्नातक पाठ्यक्रम की अतिरिक्त 150 एम.बी.बी.एस.सीट्स उपलब्ध होगी। इसके साथ ही सतना जिले के साथ-साथ आस-पास की जनता को तृतीयक स्तर की चिकित्सा सुविधायें उपलब्ध हो सकेगीं।
आरबीसी 6-4 के मापदंड में भी संशोधन करके प्राकृतिक आपदा की सहायता में बढ़ोतरी की है। जैसे भूस्खलन, हिमस्खलन, नदियों के रास्ता बदलने के कारण सीमांत या लघु कृषक के भूमि स्वामित्व की भूमि के नष्ट होने पर राहत 37 हजार 500 रुपए के स्थान पर 47 हजार रुपए प्रति हेक्टेयर कर दिया गया हैं। दुधारू पशु भैंस गाय/ऊंट/याक/ मिथुन आदि के लिए राहत राशि 30 हजार प्रति पशु के स्थान पर 37 हजार 500 रुपए किया जाएगा एवं भेड बकरी/ सूअर के लिए राहत 3 हजार रूपये के स्थान पर 4 हजार रूपए दिया जायेगा। गैर-दुधारू पशु ऊंट/घोडा/बैल/भैंसा आदि के लिए राहत राशि 25 हजार रूपये प्रति पशु के स्थान पर 32 हजार रुपए प्रति पशु एवं बछडा (गाय, भैंस)/ गधा /पोनी/ खच्चर हेतु राहत 16 हजार रूपए प्रति पशु के स्थान पर 20 हजार रूपए दिया जाएगा। अस्थायी पशु शिविर- अस्थायी पशु शिविर में रखे गये बड़े पशुओं के लिए 70 रूपये पशु प्रतिदिवस के स्थान पर 80 रूपए एवं छोटे पशुओं 35 रूपए प्रति पशु प्रति दिवस के स्थान पर 45 रूपए दिया गया। इसी तरह पक्षी (मुगी/ मुर्गा) हानि के लिये 60 रूपए (10 सप्ताह से अधिक आयु के प्रति पक्षी के स्थान पर 100 रुपए प्रति पक्षी दिया जायेगा।
घायलों की दी जाने वाली राहत राशि में भी बढ़ोतरी
कृषकों, पशुपालकों, बुनकरों, नाविकों, मछुआरों और घायल व्यक्ति को दी जाने वाली राहत राशि में वृद्धि की गई है। राहत राशि में वृद्धि की गई है। इस अनुसार शरीर के किसी अंग (लिंब) अथवा आंख/आंखों की हानि के लिए 40% और 60% के बीच अपंगता होने पर 59 हजार 100 रुपए के स्थान पर 74 हजार रुपए प्रति व्यक्ति तथा 60% से अधिक अपंगता होने पर 2 लाख रुपए के स्थान पर 2 लाख 50 हजार रुपए दिया जायेगा। इसी तरह गंभीर रूप से घायल, जो एक सप्ताह से अधिक दिनों तक अस्पताल में भर्ती रहने पर 12 हजार 700 रुपए के स्थान पर 16 हजार रुपए प्रति व्यक्ति तथा एक सप्ताह से कम अवधि के लिए अस्पताल में भर्ती होने पर 4 हजार 300 रुपए के स्थान पर 5 हजार 400 रूपए प्रति व्यक्ति दिया जायेगा।
नष्ट हुए मकानों के लिये आर्थिक अनुदान सहायता
कैबिनेट ने पूर्ण नष्ट (मरम्मत योग्य नहीं) और गम्भीर रूप से क्षतिग्रस्त (जहां क्षति 50 प्रतिशत से अधिक हो) पक्के / कच्चे मकान के लिए वास्तविक क्षति के आंकलन के आधार पर राहत राशि अधिकतम 95 हजार 100 रुपए के स्थान पर मैदानी इलाकों में 1 लाख 20 हजार एवं पहाड़ी क्षेत्रों में 1 लाख 30 हजार रुपए दी जायेगी। झुग्गी झोपड़ी (झुग्गी/झोपड़ी से तात्पर्य है कच्चे घर से निम्नतर मिट्टी प्लास्टिक सीट आदि से निर्मित घर) पूर्ण नष्ट होने पर राहत राशि 6 हजार के स्थान पर 8 हजार रुपए दी जायेगी। इसी तरह आशिक क्षतिग्रस्त (जहां क्षति 15 प्रतिशत से 50 प्रतिशत हो) पक्के मकान के लिए राहत राशि 5 हजार 200 के स्थान पर 6 हजार 500 रुपए एवं कच्चे मकान के लिए 3 हजार 200 के स्थान पर 4 हजार रुपए दी जायेगी।साथ ही मकान से संलग्न पशु घर के लिये राहत राशि 2 हजार 100 के स्थान पर 3 हजार रुपए प्रति पशु घर दी जायेगी।