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Friday, November 15, 2024

शिवराज कैबिनेट की बैठक में इन अहम प्रस्तावों को मिली मंजूरी

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भोपाल । खेती में लागत घटाने के लिए किसानों को शिवराज सरकार द्वारा बिना ब्याज के उपलब्ध कराए जा रहे ऋण की सुविधा वर्तमान वित्तीय वर्ष में भी जारी रखी जाएगी। हालांकि, इसके लिए केंद्र सरकार से मिलने वाली ब्याज सहायता पांच की जगह तीन प्रतिशत मिलेगी। इसका असर किसानों पर न पड़े इसलिए प्रदेश सरकार ब्याज अनुदान बढ़ाएगी। मध्य प्रदेश में किसानों को जिला सहकारी केंद्रीय बैंकों के माध्यम से वित्तीय वर्ष 2022-23 में ब्याज रहित अल्पावधि कृषि ऋण मिलेगा। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट बैठक में यह निर्णय लिया गया। साथ ही यह भी निर्णय लिया गया कि 18 वर्ष से कम आयु के अनाथ बच्चों के लिए मुख्यमंत्री बाल आशीर्वाद योजना लागू की जाएगी। इसमें अनाथ बच्चों को प्रतिमाह दो हजार रुपये आर्थिक सहायता दी जाएगी। साथ ही बालगृह से निकलने वाले 18 वर्ष से अधिक आयु के युवाओं को 24 वर्ष तक व्यावसायिक प्रशिक्षण दिलाया जाएगा। प्रतिमाह पांच हजार रुपये प्रशिक्षण अनुदान देने का प्रविधान रखा गया है। महिला सशक्तिकरण के लिए मुख्यमंत्री उद्यम शक्ति योजना को भी कैबिनेट द्वारा मंजूरी दी गई। इसमें महिला स्व सहायता समूह को ऋण पर दो प्रतिशत ब्याज अनुदान दिया जाएगा। वहीं, महिला उद्यमियों को महिला वित्त एवं विकास निगम से ऋण भी दिलाया जाएगा। कौशल विकास के लिए प्रशिक्षण दिलाने की व्यवस्था भी रहेगी।

 

मध्य प्रदेश में वर्ष 2022-23 में किसानों को 19 हजार करोड़ रुपये का फसल ऋण देने का लक्ष्य है। ब्याज रहित ऋण उपलब्ध कराने के लिए सरकार जिला सहकारी केंद्रीय बैंकों को ब्याज अनुदान देती है। केंद्र सरकार किसानों को अल्पावधि फसल ऋण उपलब्ध कराने के लिए बैंकों को सात प्रतिशत ब्याज सहायता की जगह पांच प्रतिशत सहायता ही मिलेगी। इस दो प्रतिशत की भरपाई प्रदेश सरकार की ओर से किया जाना सहकारिता विभाग ने प्रस्तावित किया है। प्रदेश सरकार एक प्रतिशत ब्याज अनुदान सभी किसानों को देती है और चार प्रतिशत अतिरिक्त ब्याज अनुदान प्रोत्साहन स्वरूप समय पर ऋण की अदायगी करने वाले किसानों को दिया जाता है। इसे निरंतर रखना प्रस्तावित किया है लेकिन वित्त विभाग इसके लिए सहमत नहीं है।

 

 

विभाग का कहना है कि अन्य वाणिज्यिक बैंकों की ऋण वितरण लागत साढ़े आठ प्रतिशत के आसपास है। ऐसे में दस प्रतिशत की दर से भुगतान किया जाना ठीक नहीं है। हालांकि, सहकारिता विभाग के अधिकारियों का तर्क है कि वाणिज्यिक और सहकारी बैंकों की सरंचना में अंतर है। सहकारी बैंक की संरचना त्रिस्तरीय है। ब्याज अनुदान का भुगतान भी विलंब से होता है। इसके कारण प्राथमिक कृषि साख सहकारी समितियों को ब्याज का भार वहन करना पड़ता है। ऐसे में वर्तमान व्यवस्था में परिवर्तन नहीं किया जाना चाहिए।

 

 

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