भोपाल। मध्य प्रदेश में एक तरफ बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष पद को लेकर चर्चा और सियासी हलचल जारी है। वहीं, लोकसभा चुनाव के दौरान कांग्रेस छोड़कर बीजेपी में शामिल हुए नेताओं को भी समायोजित करने की योजना बन रही है। कई राजनीतिक नियुक्तियों को लेकर अटकलें लगाई जा रही हैं, जिसमें कांग्रेस से आए बड़े नेताओं को निगम मंडल में जगह दी जा सकती है, जबकि कुछ को बीजेपी की नई कार्यकारिणी में भी शामिल किया जा सकता है।
बीजेपी की राजनीतिक नियुक्तियां
बीजेपी की सरकार को 11 महीने से अधिक समय हो चुका है, लेकिन अब तक निगम मंडल की नियुक्तियां नहीं की गई हैं। पार्टी के भीतर कई दौर की बैठकें हो चुकी हैं, लेकिन फैसले में देरी हो रही है, खासकर उन नेताओं को लेकर जो कांग्रेस छोड़कर बीजेपी में आए। अब माना जा रहा है कि पार्टी ने इसकी तैयारियां कर ली हैं और आगामी दिनों में नियुक्तियों की घोषणा की जा सकती है।
सिंधिया समर्थक के लिए नए नियम
ज्योतिरादित्य सिंधिया के समर्थक जसंत जाटव की हालिया नियुक्ति ने इस बात की ओर इशारा किया है कि बीजेपी ने नियमों में लचीलापन दिखाया है। जाटव को शिवपुरी का जिलाध्यक्ष बनाया गया, जबकि उन्हें बीजेपी में आए हुए चार साल ही हुए हैं, जबकि जिलाध्यक्ष पद के लिए 6 साल तक सक्रिय सदस्य होना जरूरी होता है। यह निर्णय दर्शाता है कि अन्य नेताओं को भी पार्टी में जिम्मेदारियां मिल सकती हैं।
सुरेश पचौरी से रामनिवास रावत तक की लाइन
लोकसभा चुनाव के दौरान कांग्रेस छोड़कर बीजेपी में शामिल हुए कई वरिष्ठ नेताओं की किस्मत अब बदल सकती है। सुरेश पचौरी को पार्टी बड़ी जिम्मेदारी दे सकती है, वहीं रामनिवास रावत को निगम मंडल में शामिल कर कैबिनेट मंत्री का दर्जा दिया जा सकता है। इसके अलावा, अतुल शर्मा और दीपक सक्सेना जैसे नेताओं को भी अहम जिम्मेदारियां मिल सकती हैं।
संगठन और सत्ता में बदलाव
पूर्व कांग्रेस विधायकों और सांसदों को बीजेपी में शामिल होने के बाद संगठन में महत्वपूर्ण पद मिल सकते हैं। यह संभावना जताई जा रही है कि बीजेपी उन्हें प्रदेश अध्यक्ष की नई टीम में जगह दे सकती है और निगम मंडल में भी जिम्मेदारियां सौंप सकती है। पार्टी का उद्देश्य यह है कि इन नेताओं के आने से लोकसभा चुनाव में बीजेपी को लाभ हुआ और कांग्रेस को नुकसान हुआ, जिससे विवाद की स्थिति न बने और इन नेताओं को समायोजित किया जा सके।