इंदौर। पुराने वाहनों को खरीदने बेचने पर उसके नाम ट्रांसफर के काम के लिए रोजाना आरटीओ आने जाने वाले 2000 क्रेता-विक्रेता को इससे राहत मिलने वाली है। दरअसल परिवहन विभाग इस पूरे काम को आधार कार्ड से जोड़ कर आनलाइन करने जा रहा है। जिसके लिए आवेदक को आरटीओ नहीं आना होगा। इसके लिए साफ्टवेयर भी बनाया जाएगा। इसके लिए विभाग ने तैयारी शुरू कर दी है।
जानकारी के अनुसार आरटीओ में रोजाना सभी श्रेणी के मिला कर करीब 1 हजार वाहनों के नाम ट्रांसफर होते है। नियमानुसार इसके लिए वाहन मालिक के साथ उसे खरीदने वाले व्यक्ति को भी आरटीओ जाना होता है। यहां पर इन्हें आरटीओ अधिकारियों के सामने पेश होना पड़ता है कि असली मालिक ने ही गाड़ी बेची है। इस तरह से रोजाना करीब 2 हजार लोग आरटीओ में आते है। इसके अलावा एजेंट भी आते है। एआरटीओ हद्येश यादव ने बताया कि विभाग जनता को कई सुविधा आनलाइन दे रहा है। इसी की अगली कड़ी में हम नाम ट्रांसफर का काम आनलाइन करने की तैयारी कर रहे है। इसमें गाड़ी को बेचने वाले व्यक्ति को आरटीओ आने की जरूरत ही नहीं होगी। उसकी पुष्टि आधार कार्ड से ही हो जाएगी।
आधार कार्ड का नंबर डालते ही उसे ओटीपी आएगा। ओटीपी दर्ज करते ही इस बात की पुष्टि हो जाएगी कि उसने गाड़ी बेच दी है। वहीं क्रेता भी अपने आधार के माध्यम से ओटीपी डाल देगा। जिससे यह तय हो जाएगा कि गाड़ी उसी ने खरीदी है। यादव ने बताया कि इस मामले में हम इस पर काम कर रहे है कि गाड़ी के खरीदार को आरटीओ आना ही नहीं पड़ें। इसी में यह प्रयास किया जा रहा है कि गाड़ी का पुराना रजिस्ट्रेशन कार्ड हमारे पास कैसे पहुंचे। इसी को लेकर हम तैयारी कर रहे है। अगले कुछ माह में हम इसे लागू करेंगे।
लर्निंग लाइसेंस की व्यवस्था आनलाइन होने से आरटीओ में भीड़ कम हो गई है। पहले रोजाना करीब 300 लर्निंग लाइसेंस बनते थे। आवेदक अपने साथ एक व्यक्ति को लेकर आता था। वही करीब 90 प्रतिशत लोग एजेंट की सहायता लेते थे। इस तरह से करीब 750 लोग रोजाना आरटीओ आते थे। अब इनकी संख्या कम हो गई है। अगर वाहन ट्रांसफर का काम भी आनलाइन हो गया तो केवल पक्के लाइसेंस के आवेदकों का ही आरटीओ में आना जाना रहेगा। शेष लोगों की भीड़ पूरी तरह से कम हो जाएगी।