भोपाल। एमपी त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव में प्रत्याशियों के लिए अधिकतम खर्च सीमा निर्धारित किए जाने की मांग करते हुए हाईकोर्ट में याचिका दायर की गई है। हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस रवि विजय कुमार मलिमथ तथा जस्टिस डी के पालीवाल की युगलपीठ ने सरकार की पॉलिसी में दखल देने से इंकार करते हुए याचिका को खारिज कर दिया
नागरिक उपभोक्ता मार्गदर्शक मंच के डॉ पी जी नाजपांडे तथा रजत भार्गव की तरफ से दायर की गई याचिका में कहा गया था कि हाल में ही निरस्त हुए त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव में लगभग 250 करोड़ रुपये का व्यय उम्मीदवारों ने किया था। पंचायत चुनाव में उम्मीदवार द्वारा बेतहाशा राशि व्यय की जाती है। वोटरों को आर्थिक प्रलोभन देकर खुद के पक्ष में मतदान के लिए लुभाया जाता है। ऐसा इसलिए होता है क्योंकि मप्र पंचायत निर्वाचन नियम में चुनाव खर्च की अंतिम सीमा तय करने का कोई प्रावधान नहीं है।
याचिका में कहा गया था कि धन-बल से उम्मीदवार चुनाव नतीजे प्रभावित करते हैं। गरीब व मध्यमवर्गी लोग चुनाव में अधिक व्यय नहीं कर पाते हैं। याचिका में कहा गया था कि पूर्व में हाई कोर्ट के निर्देश पर चुनाव आयोग ने पार्षद चुनाव में अधिकतम चुनाव खर्च सीमा निर्धारित की है। याचिका में यह भी मांग की गई थी कि प्रत्याशी रोज के खर्चा को ब्यौरा भी पेश करें।
याचिका में प्रदेश सरकार के विधि तथा पंचायत व ग्रामीण विकास विभाग के प्रमुख सचिव तथा चुनाव आयोग को अनावेदक बनाया गया था। याचिका की सुनवाई करते हुए युगलपीठ ने कहा कि इस संबंध में सरकार को निर्णय लेना है। सरकार की पॉलिसी मैटर में हम दखल नहीं दे सकते। युगलपीठ ने सुनवाई के बाद याचिका को खारिज कर दिया। याचिकाकर्ता डॉ पी जी नाजपांडे के कहा कि इस मुददो को लेकर हम सर्वोच्च न्यायालय में याचिका दायर करेंगे। इस संबंध में उनकी अधिवक्ता से चर्चा हो गई है और सर्वोच्च न्यायालय में शीघ्र याचिका दायर की जाएगी।