भोपाल। जिले में पंचायतों का नए सिरे से परिसीमन हुआ, इस बाद अब पुरानी पंचायतों को तोड़कर 35 नई पंचायतों का गठन किया है। नई पंचायतों के गठन के बाद अब जिले में कुल 222 पंचायतें हुई। इससे पहले इनकी संख्या 187 थी। इससे पहले तत्कालीन कांग्रेस सरकार ने भी 13 नई पंचायतों का गठन किया था। भाजपा की सरकार आने के बाद इसे निरस्त कर दिया था। बता दें इस बार सबसे ज्यादा 19 नई पंचायतें फंदा ब्लॉक में बनाई गई हैं। इके साथ ही बैरसिया में 16 नई पंचायतों का गठन किया है।
राजधानी भोपाल की पंचायते 9 क्षेत्रों में बंटी हैं। परिसीमन के बाद भोपाल में जो 35 नई पंचायतों का गठन किया है उसे लेकर 2 मार्च तक दावा आपत्ति का वक्त मिला है। मतदाता 2 मार्च तक दावा आपत्ति पेश कर सकेंगे। नए परिसीमन से पंचायत चुनाव का सियासी समीकरण बिगड़ सकता है। बीते दिनों पंचायत चुनाव की अधिसूचना के बाद परिसीमन को लेकर विवाद की स्थिति बन गई थी। विपक्ष लगातार सरकार पर हमलावर है दूसरी तरफ बीजेपी कांग्रेस पर कई तरह के आरोप लगा रही है।
कमलनाथ सरकार ने प्रदेश में जिले से लेकर ग्राम पंचायतों तक नया परिसीमन किया था और करीब 1200 नई पंचायतें बनाई थी। इस दौरान 102 ग्राम पंचायतों को खत्म कर दिया गया था और 1950 की सीमा में बदलाव भी किया गया था। मामले ने तब तूल पकड़ा जब शिवराज सरकार ने 2019 में बनाई नई पंचायतों के परिसीमन के एक साल बाद पंचायती राज अध्यादेश 2021 लाकर परिसीमन को निरस्त कर दिया। बीजेपी का आरोप था कि पंचायतों के परिसीमन को लेकर कांग्रेस ने कई गड़बड़ियां की थी। कांग्रेस ने कई पंचायतों को खत्म कर दिया और कई नई पंचायते बना दी। ये सब कांग्रेस के नेताओं ने अपने फायदे के लिए किया। इस दलील के चलते कमलनाथ सरकार के समय में किए परिसीमन को निरस्त कर दिया गया। मध्यप्रदेश में पंचायत चुनाव की तैयारियां कमलनाथ सरकार के समय से ही शुरू हो गई थी, लेकिन चुनाव को लेकर हर बार कोई नया पेंच फंस गया। कमलनाथ सरकार के समय ही नए सिरे से पंचायतों का परिसीमन भी किया गया था। बाद में दोबारा बीजेपी की सरकार आने पर शिवराज सरकार ने कमलनाथ सरकार के समय किए परिसीमन को निरस्त कर दिया।