27.6 C
Bhopal
Thursday, November 14, 2024

अवैध खनिज परिवहन रोकने के लिए CM मोहन यादव का ये नया प्लान

Must read

भोपाल: मध्य प्रदेश में अवैध खनिज परिवहन पर नियंत्रण के उद्देश्य से मुख्यमंत्री मोहन यादव ने बड़ा कदम उठाते हुए प्रदेश में 41 एआई-आधारित ई-चेकगेट स्थापित करने की घोषणा की है, जो अवैध परिवहन को रोकने में सहायक होंगे। इन ई-चेकगेटों में वेरीफोकल कैमरा, आरएफआईडी रीडर और ऑटोमैटिक नंबर प्लेट रीडर का उपयोग होगा, जिससे खनिज परिवहन में संलग्न वाहनों की जांच की जा सकेगी। इन सभी चेकगेटों का निर्माण दिसंबर तक पूरा करने का लक्ष्य है।

मुख्यमंत्री ने बताया कि इस परियोजना को सफल बनाने के लिए एक पायलट प्रोजेक्ट शुरू किया गया है, जिसमें खनिज परिवहन के लिए विशेष रूट पर 4 स्थानों पर ई-चेकगेट कार्यरत हैं। यह कदम राज्य की खनिज संपदा के सही उपयोग को सुनिश्चित करने और अवैध खनन रोकने के लिए उठाया गया है। इसके लिए भोपाल में एक राज्य स्तरीय कमांड और कंट्रोल सेंटर स्थापित किया गया है, साथ ही भोपाल और रायसेन में जिला स्तरीय केंद्र भी बनाए गए हैं।

मध्य प्रदेश सरकार ने 7,000 खदानों का सीमांकन करके उनकी जियो टैगिंग की है। इसके बाद अवैध खनन की पहचान और रोकथाम के लिए अधिकारियों को दिशा-निर्देश दिए गए हैं। स्वीकृत खदानों के लिए 3D इमेजिंग और वॉल्यूमेट्रिक एनालिसिस के लिए सैटेलाइट और ड्रोन का सहारा लिया जाएगा, जबकि परिवहन पर निगरानी के लिए ई-चेकगेट की स्थापना की जा रही है।

जिला प्रशासन के निर्देश

मई में मध्य प्रदेश सरकार ने अवैध खनन और परिवहन पर रोक के लिए जिला कलेक्टरों को सूचना प्रौद्योगिकी और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का उपयोग सुनिश्चित करने, जिला स्तर पर मानव रहित चेकगेट बनाने, 41 स्थानों पर ई-चेकगेट स्थापित करने, और राज्य व जिला स्तर पर कमांड सेंटर बनाने के निर्देश दिए थे, जिसे 10 महीने के भीतर लागू करना है।

जियो टैगिंग से संपत्तियों और खदानों का सटीक स्थान पता चलता है, जिससे उनकी पहचान और प्रबंधन आसान हो जाता है। यह प्रणाली संपत्तियों को अद्वितीय अक्षांश-देशांतर देकर GIS मानचित्र पर दिखाती है, जिससे कई कार्यों में मदद मिलती है।

– फसल स्वास्थ्य निगरानी: पर्यावरणीय स्थिति का आकलन और रोग/कीट संक्रमण को कम करने के लिए उचित समय पर सलाह।
– जलवायु निगरानी: वास्तविक समय में जलवायु स्थितियों की जानकारी।
– खाद और उर्वरक का उपयोग: खेत के भीतर की आवश्यकताओं के अनुसार उर्वरकों का उपयोग।
– बाढ़ और सूखा पूर्वानुमान: पर्यावरणीय परिस्थितियों का आकलन और आपदाओं की भविष्यवाणी।

More articles

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

Latest News

error: Content is protected !!