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Sunday, November 17, 2024

शिवराज के इस मंत्री ने सिंधिया से कही ये बड़ी बात

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सागर। गढ़ाकोटा में रहस मेले के मंच पर शिवराज के मंत्री गोपाल भार्गव भावुक हो गए। बोले- मैं रहूं या न रहूं, ये मेला चलते रहना चाहिए। संबोधन के दौरान भार्गव का गला भर आया। वे भावुक हो गए और उन्होंने अपनी बात खत्म कर दी। भार्गव को भावुक देख केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया सहारा बने। उन्होंने मंच से कहा- आपका साथ मैं और जनता मिलकर अंतिम सांस तक देने को तैयार रहेंगे। गोपाल जी आपके साथ ज्योतिरादित्य खड़ा है। बताया जा रहा है कि इस कार्यक्रम में सीएम शिवराज सिंह चौहान को भी आमंत्रण दिया गया था। सीएम कार्यालय ने उनकी व्यस्तता बताते हुए इस कार्यक्रम में शामिल होने में असर्थता जताई।

 

गढ़ाकोटा में रहस मेला चल रहा है। मेले की परंपरा 214 साल पुरानी है। गोपाल भार्गव के मंत्री बनने के बाद इस मेले को भव्य स्वरूप दिया गया था। PWD मंत्री गोपाल भार्गव ने कहा- आप लोग इस मेले को आगे बढ़ाते रहें। हम लोग तो ऐसे हैं कि राजनीति में कोई भरोसा नहीं रहता। जीवन का भी कोई भरोसा नहीं है, लेकिन धर्म, परंपरा के लिए जो लोग जीते हैं, वही लोग जिंदा रह पाते हैं। जो लोग अपना इतिहास भूल जाते हैं, इतिहास उन्हें भी भुला देता है।

 

केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने कहा- अभी मंच से गोपाल जी कह रहे थे कि मैं रहूं या ना रहूं, ये मेला चलना चाहिए। विधि का विधान है, लेकिन मैं रहली की जनता से विश्वास लेना चाहता हूं कि जिस व्यक्ति ने अपना संपूर्ण जीवन आप को समर्पित किया, जिस व्यक्ति के जीवनकाल में हर क्षण में अगर आवाज उठी तो रहली के झंडे की आवाज उठी, सागर के झंडे की आवाज उठी, उस व्यक्ति का साथ आप और हम मिलकर अंतिम सांस तक देने के लिए तैयार रहेंगे। गोपाल जी, आपके साथ ज्योतिरादित्य खड़ा है।

 

केंद्रीय मंत्री सिंधिया ने कहा- मैं सागर-रहली का मेहमान नहीं बन सकता। मेरा सागर से पारिवारिक संबंध है। यहां से मिली सीख लगातार मुझे सही दिशा देने का कार्य करती है। मैं केवल ग्वालियर का नागरिक नहीं, बल्कि सागर के खून के रूप में आपके समक्ष खड़ा हूं। मेरी दादी का जन्म सागर में हुआ और दादी ने सागर में रहकर जो सिद्धांत, मूल्य, धरोहर और विचारधारा को सहेजकर हम सभी सिंधिया परिवार को दिया है, इसके लिए सागर का हमेशा ऋणी रहूंगा। मेरा परिवार राजनीति से प्रेरित नहीं है बल्कि सेवा, धर्म, विकास और उन्नति से प्रेरित है। मैं पहले मानता था कि मध्यप्रदेश में केवल ग्वालियर का मेला ही बड़ा है, लेकिन आज यहां देखकर लगा कि यह मेला ग्वालियर के मेले के बराबर है।

 

 

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