भोपाल। केरल में मानसून तय दिन से तीन दिन पहले दस्तक दे दी है। 75 साल में 41वीं बार मानसून समय से पहले आया है। पिछली बार मानसून जब समय से पहले आया उनमें से 28 बार यानी 70 फीसदी मौकों पर सामान्य से ज्यादा बारिश हुई है। मौसम विभाग ने केरल के अधिकांश हिस्सों में मानसून सक्रिय होने की जानकारी दी। इंदौर सहित मालवा में मानसून की आमद 17 जून के बाद होगी। पिछले साल मानसून की बात की जाय तो 12 जून को ही घोषित हो गया था। प्री-मानसून की शुरुआत मई के अंत में ही हो गई थी। इस बार मानसून की हलचल ही नहीं है। 5 जून तक तो मौसम साफ रहने वाला है।
मध्यप्रदेश के लिए प्री-मानसून को लेकर अच्छी खबर नहीं है। प्रदेश में प्री-मानसून की बारिश नहीं होगी। अब तक जबलपुर, सागर, रीवा, ग्वालियर और चंबल में रिमझिम बारिश हो रही थी। मौसम वैज्ञानिक पीके साहा ने बताया कि पश्चिम से हवाएं अभी नहीं आ रही हैं। यह अभी अफगानिस्तान में हैं। मौसम वैज्ञानिकों के मुताबिक प्री-मानसून छत्तीसगढ़ समेत पूर्वोत्तर राज्यों की ओर रुख कर गया है। यहां ये अच्छी बारिश करा रहा है, लेकिन मध्यप्रदेश में इसका असर फिलहाल नहीं दिख रहा। प्रदेश में अगले तीन दिन कहीं भी बारिश नहीं होगी। इससे उमस परेशान कर सकती है। यही कारण है कि मध्यप्रदेश में बादल छट गए हैं। हवाओं की ऊंचाई बहुत ज्यादा होने के कारण सिर्फ मध्यप्रदेश को छोड़ अधिकांश राज्यों में बारिश हो रही है। जबलपुर, सागर और रीवा संभागों में अभी तक कहीं-कहीं हल्की बारिश हो रही थी। अब जून के पहले सप्ताह में बारिश होने की संभावना है।
फिलहाल, सिस्टम नहीं बनने के कारण बारिश नहीं हो रही है। पाकिस्तान से आने वाली हवाएं अफगानिस्तान के ऊपर हैं। इसके पाकिस्तान से आगे बढ़ने के बाद ही प्रदेश में बादल छाने और बारिश की संभावना बनेगी। पीके साहा ने बताया कि अब तक प्री-मानसून की बारिश ग्वालियर-चंबल, जबलपुर, सागर और रीवा संभागों में ही हुई है। इधर, इंदौर-भोपाल, उज्जैन समेत पश्चिमी मध्यप्रदेश में प्री-मानसून की बौछारें नहीं पड़ी। भोपाल और इंदौर में सिर्फ एक-एक दिन ही हल्की बूंदाबांदी हुई। इसके अलावा कुछ बादल जरूर रहे, लेकिन राहत नहीं मिली।
मानसून के आने के कारण अब तापमान ज्यादा नहीं बढ़ेगा। अब ज्यादा से ज्यादा एक से दो डिग्री ही तापमान बढ़ सकता है। उमस परेशान कर सकती है। जून के पहले सप्ताह में बारिश के आसार हैं, लेकिन अभी सिस्टम नहीं बन रहा। पीके साहा ने बताया कि मध्यप्रदेश में मानसून बंगाल की खाड़ी और अरब सागर में गतिविधियों पर निर्भर करता है। बंगाल की खाड़ी में गतिविधियां हो रही हैं, लेकिन अरब सागर में अभी ज्यादा सक्रियता नहीं है। अगर अरब सागर में मानसून की गतिविधियां बढ़ती हैं, तो ये पहले भी आ सकता है।