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Wednesday, March 5, 2025

महाकाल मंदिर में इस बार नौ के बजाय 10 दिन की शिवनवरात्र, जानें कारण

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उज्जैन। स्थित ज्योतिर्लिंग महाकाल मंदिर में 17 फरवरी से शिवनवरात्र उत्सव की शुरुआत होगी। इस बार शिवनवरात्र का उत्सव नौ दिन की बजाय दस दिन का होगा। मंदिर की पारंपरिक पूजा के अनुसार, इन नौ दिनों में भगवान महाकाल का शृंगार तिथि के हिसाब से किया जाता है। चूंकि इस बार तिथि वृद्धि हुई है, इस पर निर्णय लेने के लिए शुक्रवार को पुजारी और पुरोहितों की बैठक आयोजित की जाएगी।

महाकाल एकमात्र ऐसा ज्योतिर्लिंग है, जहां पूजा की परंपरा खास और अनूठी है। यहां रोज सुबह 4 बजे मंगला आरती होती है, जिसमें भगवान को भस्मी स्नान कराया जाता है। शिवनवरात्र के दौरान शिव पार्वती विवाह का उत्सव भी मनाया जाता है, जो यहां की परंपरा का हिस्सा है।

पुजारियों की बैठक में तय होगा शृंगार का क्रम
शिवनवरात्र के नौ दिनों में भगवान महाकाल का विभिन्न रूपों में शृंगार किया जाता है। चूंकि इस बार तिथि बढ़ी है, ऐसे में शृंगार के लिए कौन सा रूप तय किया जाएगा, इस पर असमंजस की स्थिति उत्पन्न हो गई है। पुजारियों की बैठक में इस पर निर्णय लिया जाएगा कि किस दिन भगवान का कौन सा रूप होगा।

ग्वालियर के पंचांग के अनुसार तिथि निर्धारण
पं. महेश पुजारी ने बताया कि महाकाल मंदिर की पूजा परंपरा के अनुसार तिथि का निर्धारण ग्वालियर के पंचांग के अनुसार होता है। तिथि वृद्धि के कारण उसी के अनुसार भगवान का शृंगार किया जाएगा। संभव है कि पहले दिन भगवान को जो चंदन शृंगार कराया जाता है, वही शृंगार पहले दो दिन जारी रखा जाए, और फिर अगले दिनों से अन्य शृंगार की प्रक्रिया शुरू हो।

शिवनवरात्र में शृंगार का क्रम
महाकाल मंदिर की परंपरा के अनुसार, पहले दिन भगवान महाकाल को हल्दी लगाकर दूल्हा बनाया जाता है, फिर नवीन वस्त्र और आभूषणों से शृंगार किया जाता है। इसके बाद हर दिन तिथि अनुसार भगवान का रूप बदलता है:
– षष्ठी शेषनाग
– सप्तमी घटाटोप
– अष्टमी छबीना
– नवमी होलकर
– दशमी मनमहेश
– एकादशी उमा महेश
– द्वादशी शिव तांडव
– महाशिवरात्रि जलधारा
– चतुर्दशी सप्तधान शृंगार

दूज पर पंच मुखारविंद दर्शन
महाकाल मंदिर की परंपरा के अनुसार, महाशिवरात्रि के तीन दिन बाद, फाल्गुन मास के शुक्ल पक्ष की द्वितीया को चंद्र दर्शन की दूज कहा जाता है। इस दिन भगवान महाकाल का पंच मुखारविंद शृंगार किया जाता है, और भक्त इस दिन भगवान के पांच रूपों के दर्शन कर सकते हैं।

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