जबलपुर: मध्य प्रदेश के जबलपुर में आयोजित राजा शंकर शाह और कुंवर रघुनाथ शाह के बलिदान दिवस समारोह में पहुंचे कैबिनेट मंत्री विजय शाह ने इतिहास लेखन में आदिवासी जननायकों के साथ किए गए भेदभाव पर खुलकर नाराजगी जताई। उन्होंने कहा कि आदिवासी नायकों ने देश की आजादी के लिए महत्वपूर्ण योगदान दिया, लेकिन इतिहास में उन्हें वह स्थान नहीं मिला, जिसके वे हकदार थे।
आदिवासी जननायकों के साथ बेईमानी का आरोप
कैबिनेट मंत्री विजय शाह ने कहा, “भारत का इतिहास लिखने वालों ने आदिवासी जननायकों के साथ बेईमानी की है। जिनके कपड़े लंदन में धुलने जाते थे, उन्हें इतिहास में जगह दी गई, जबकि आदिवासी योद्धाओं के योगदान को अनदेखा किया गया।” उनका यह बयान आदिवासी जननायकों के प्रति न्याय करने की मांग को लेकर एक महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है।
आजादी के संघर्ष में आदिवासियों का विशेष योगदान
शाह ने कहा कि देश को आजादी चंद लोगों की बदौलत नहीं मिली, बल्कि आदिवासी जननायकों ने अंग्रेजों के खिलाफ बगावत का बिगुल फूंकते हुए स्वतंत्रता संग्राम की अलख जगाई। “राजा शंकर शाह और कुंवर रघुनाथ शाह ने अंग्रेजों के खिलाफ संघर्ष कर आजादी की ज्वाला प्रज्वलित की,” मंत्री ने कहा। उन्होंने बताया कि गोंडवाना साम्राज्य के ये महान योद्धा अंग्रेजी हुकूमत से लड़ते हुए शहीद हुए, जब अंग्रेजों ने उन्हें तोप से बांधकर उनके टुकड़े-टुकड़े कर दिए थे।
भाजपा सरकार कर रही है आदिवासी जननायकों को पहचान दिलाने का प्रयास
विजय शाह ने कहा कि भाजपा सरकार आदिवासी नायकों को पहचान दिलाने के लिए लगातार प्रयासरत है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के निर्देश पर स्कूली पाठ्यक्रम में आदिवासी नायकों की जीवनी शामिल की जा रही है। उन्होंने बताया कि टंट्या मामा, बिरसा मुंडा, भीमा नायक, राजा शंकर शाह, और कुंवर रघुनाथ शाह जैसे नायकों की कहानियां अब बच्चों को पढ़ाई जाएंगी, ताकि युवा पीढ़ी उनके शौर्य, साहस और बलिदान से प्रेरित हो सके।
इस तरह के बयान और सरकार के प्रयास इस दिशा में संकेत देते हैं कि आदिवासी नायकों के प्रति बढ़ते सम्मान और उनके योगदान को लेकर अब सही पहचान देने का समय आ गया है।