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आज एक साथ देखेंगे यह 7 ग्रह, कई वर्षों में बनता है ऐसा खगोलीय संयोग

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भोपाल। राष्ट्रीय विज्ञान दिवस 28 फरवरी की शाम खगोल प्रेमियों के लिए खास होने वाली है। इस दिन आकाश में सात ग्रह एक साथ दिखाई देंगे, जिसे सोशल मीडिया पर ‘ग्रहों की परेड’ कहा जा रहा है। हालांकि, यह परेड सीधी कतार में नहीं होगी, बल्कि ग्रह आकाश में पूर्व से पश्चिम की दिशा में बिखरे हुए नजर आएंगे।

विज्ञान प्रसारक और राष्ट्रीय पुरस्कार प्राप्त सारिका घारू के अनुसार, सूर्यास्त के समय जब सूर्य पश्चिम दिशा में डूबेगा, तो शनि (सैटर्न), बुध (मरकरी) और नेप्च्यून भी अस्त होंगे। इनसे ऊपर चमकता हुआ शुक्र (वीनस) दिखाई देगा। इसके अलावा, सिर के ठीक ऊपर बृहस्पति (जुपिटर) और यूरेनस मौजूद होंगे, जबकि उनके पूर्व में मंगल (मार्स) दिखाई देगा।

कुछ वर्षों में बनता है ऐसा खगोलीय संयोग

सारिका ने कहा कि सोशल मीडिया पर इसे दुर्लभ घटना के रूप में प्रचारित किया जा रहा है, लेकिन यह संयोग हर कुछ वर्षों में बनता है। उदाहरण के तौर पर जनवरी 2016 और अगस्त 2022 में चार ग्रह दिखाई दिए थे, वहीं जुलाई 2022 में पांच ग्रह दिखे थे। अगली ‘ग्रह परेड’ अगस्त 2025 और अक्टूबर 2028 में होगी, जब चार और पांच ग्रह देखे जा सकेंगे। हालांकि, इस बार यह संयोग शाम के समय बन रहा है, जिससे इसे आसानी से देखा जा सकता है। इस विशेष खगोलीय दृश्य का आनंद लें और राष्ट्रीय विज्ञान दिवस मनाएं।

ग्रहों को कैसे देख सकते हैं

सारिका के अनुसार, मंगल, बृहस्पति और शुक्र को बिना किसी उपकरण के आसानी से देखा जा सकता है। हालांकि, बुध और शनि सूर्य की रोशनी में छिपे होने के कारण आसानी से नहीं दिखेंगे। वहीं, नेप्च्यून और यूरेनस को सिर्फ शक्तिशाली टेलीस्कोप से ही देखा जा सकता है। इस प्रकार, सामान्य लोग केवल तीन ग्रहों को साफ देख सकेंगे।

आंचलिक विज्ञान केंद्र में ब्रह्मांड और ब्लैक होल पर चर्चा

राष्ट्रीय विज्ञान दिवस के मौके पर, 28 फरवरी को आंचलिक विज्ञान केंद्र में सर सीवी रमन मेमोरियल व्याख्यान आयोजित किया जाएगा। इस वर्ष का विषय ‘न्यूट्रिनो के माध्यम से ब्रह्मांड का अवलोकन’ होगा, जिसे आईआईटी इंदौर के प्रोफेसर शुभेंदु रक्षित प्रस्तुत करेंगे।

इस व्याख्यान में प्रो. रक्षित बताएंगे कि पहले खगोलशास्त्री ब्रह्मांड का अध्ययन केवल प्रकाश के माध्यम से करते थे, लेकिन अब न्यूट्रिनो नामक छोटे कणों की मदद से भी ब्रह्मांड की गहराइयों में झांक सकते हैं।

ब्लैक होल की खोज पर भी करेंगे चर्चा

खगोलशास्त्री डॉ. फ्रैंक आइज़ेनहावर (निदेशक, मैक्स प्लैंक इंस्टीट्यूट, जर्मनी) ‘दुनिया की सबसे तीक्ष्ण दूरबीनें और आकाशगंगा के केंद्र में ब्लैक होल की खोज’ विषय पर व्याख्यान देंगे। वे इस व्याख्यान में बताएंगे कि हमारी आकाशगंगा के केंद्र में एक विशालकाय ब्लैक होल मौजूद है, जिसे वैज्ञानिकों ने कई वर्षों तक खोजने की कोशिश की, लेकिन यह हमेशा छुपा रहा।

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