भोपाल। मध्य प्रदेश में एक बार फिर प्रशासनिक बदलाव की चर्चा जोरों पर है। हाल ही में राज्य सरकार ने 42 आईएएस अधिकारियों के तबादले किए थे, और अब पुलिस विभाग में भी बड़े पैमाने पर ट्रांसफर की संभावना जताई जा रही है। सूत्रों के अनुसार, जल्द ही कई आईपीएस अधिकारियों के नामों की सूची जारी हो सकती है, जिसमें एसपी से लेकर आईजी स्तर तक के अधिकारियों के तबादले शामिल होंगे।
ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट के कारण था ट्रांसफर प्रोसेस में विलंब
सूत्रों के मुताबिक, यह तबादला प्रक्रिया पहले ही तय हो चुकी थी, लेकिन ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट के कारण इसे कुछ समय के लिए स्थगित कर दिया गया था। अब जब समिट सफलतापूर्वक संपन्न हो चुकी है, तो पुलिस विभाग में बदलाव की प्रक्रिया को तेज कर दिया गया है। इस सूची में कई जिलों के पुलिस अधीक्षक (SP), रेंज आईजी और अन्य वरिष्ठ अधिकारी शामिल हो सकते हैं।
राजनीतिक हलकों में चर्चा का विषय
इस बड़े प्रशासनिक फेरबदल को लेकर राजनीतिक गलियारों में हलचल तेज हो गई है। जहां विपक्ष इसे प्रशासनिक अस्थिरता का संकेत बता रहा है, वहीं सरकार इसे सुशासन और कानून-व्यवस्था को सुधारने की दिशा में उठाया गया कदम मान रही है। अब सवाल यह उठता है कि क्या यह सिर्फ एक सामान्य प्रशासनिक प्रक्रिया है, या इसके पीछे कुछ राजनीतिक रणनीतियां भी काम कर रही हैं?
लंबे समय से तैनात आईपीएस अधिकारियों की भूमिका में बदलाव
सरकार का यह कदम खासतौर पर उन आईपीएस अधिकारियों को प्रभावित कर सकता है, जो लंबे समय से एक ही स्थान पर तैनात थे। इन बदलावों से पुलिस महकमे में नई ऊर्जा और रणनीतिक बदलाव देखने को मिल सकते हैं, क्योंकि कई अधिकारियों को नई जिम्मेदारियां सौंपने की संभावना है।
आईएएस अफसरों के बाद अब आईपीएस अफसरों के तबादले
इससे पहले, जनवरी में राज्य सरकार ने 42 आईएएस अधिकारियों के तबादले किए थे, जिन्हें मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने अपनी जापान यात्रा से पहले मंजूरी दी थी। इन बदलावों में मुख्यमंत्री कार्यालय के दो सचिवों सहित 12 जिलों के कलेक्टरों का तबादला हुआ था।
कलेक्टरों के तबादले
गुना, खरगोन, डिंडौरी, सीहोर, सतना, बड़वानी, टीकमगढ़, रायसेन, खंडवा, श्योपुर, देवास और बुरहानपुर जैसे 12 जिलों में नए कलेक्टरों की नियुक्ति की गई थी। इन बदलावों से प्रशासनिक कार्यों को और अधिक प्रभावी बनाने की कोशिश की गई थी। अब जब पुलिस विभाग में भी बड़े बदलाव होने जा रहे हैं, तो यह देखना दिलचस्प होगा कि कौन से अधिकारी नई जिम्मेदारियां संभालेंगे और इससे प्रदेश की कानून-व्यवस्था पर क्या असर पड़ेगा।