भोपाल। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने कहा है कि राज्य सरकार जनजातीय संस्कृति के संरक्षण और उनके त्योहारों, पूजा-पद्धतियों की विशेष व्यवस्था करने के प्रति पूरी तरह प्रतिबद्ध है। पश्चिमी मध्यप्रदेश में जल्द ही भगोरिया महापर्व की शुरुआत होने जा रही है। मुख्यमंत्री निवास में मंगलवार, 4 मार्च को जनजातीय देवलोक महोत्सव का आयोजन किया गया है। उन्होंने कहा कि जनजातीय समुदायों की संस्कृति और पूजा पद्धतियों के संरक्षण के लिए प्रदेश में जनजातीय देवलोक स्थापित किया जाएगा।
मुख्यमंत्री ने कहा कि जनजातीय समाज और उनकी परंपराएं भारतीय संस्कृति का अभिन्न हिस्सा हैं। इन परंपराओं और उपासना पद्धतियों को जीवित रखने तथा आने वाली पीढ़ियों को इनसे परिचित कराने के लिए शासकीय योजनाओं का लाभ उठाते हुए कार्य योजना लागू करना आवश्यक है। मुख्यमंत्री डॉ. यादव प्रदेश में जनजातीय देवलोक की स्थापना को लेकर मंत्रालय में आयोजित बैठक को संबोधित कर रहे थे, जिसमें जनजातीय कार्य मंत्री कुंवर विजय शाह, मुख्य सचिव अनुराग जैन और अन्य अधिकारी मौजूद थे।
मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रदेश में सात प्रमुख जनजातियां और इनकी उपजातियों सहित कुल 43 जनजातीय समुदाय रहते हैं। इन जनजातियों ने प्रकृति, प्रतीक और प्रतिमा के माध्यम से अपनी देवधारणाओं को स्थापित किया है, जिससे उनकी आस्थाएं और धारणाएं व्यक्त होती हैं। प्रदेश के विभिन्न भौगोलिक क्षेत्रों में रहने वाले जनजातीय समुदायों के देवी-देवता और प्रतीक भिन्न-भिन्न हैं। ऐसे में राज्य के जनजातीय समुदायों की मान्यताओं, आस्थाओं और प्रतीकों के देवलोक को एक स्थान पर लाने के लिए प्रयास किए जाएंगे। इन प्रयासों में जनजातीय समुदायों के ओझा, पटेल, पुजारा, तड़वी, भुमका, पंडा, गुनिया आदि के विचारों को भी शामिल किया जाएगा। मुख्यमंत्री ने कहा कि देवलोक की स्थापना के लिए सभी जनजातियों की सुगम आवागमन को ध्यान में रखते हुए उपयुक्त भूमि का चयन किया जाए।