मंदसौर में टायर फैक्टरी बनी मुसीबत, 20 हजार गांववाले जहरीले धुएं से परेशान

उज्जैन। मंदसौर की एक टायर फैक्टरी ने 20 गांवों के करीब 20 हजार लोगों की जिंदगी में जहर घोल दिया है। फैक्टरी में जलते टायरों से निकलने वाला खतरनाक धुआं ग्रामीणों का सांस लेना दूभर कर रहा है। भानपुरा तहसील के सांनडा गांव में बनी इस फैक्टरी का ग्रामीण 2018 से विरोध कर रहे हैं, लेकिन अब तक उनकी समस्याओं का कोई समाधान नहीं निकला है। ग्रामीण सीएम हेल्पलाइन, कलेक्टर, SDM, तहसीलदार हर स्तर पर शिकायत कर चुके हैं, लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ है।

फसल बर्बाद, ग्रामीण बीमारियों के शिकार
फैक्टरी से निकलने वाले जहरीले धुएं से आसपास की फसल बर्बाद हो रही है। पेड़ मुरझा रहे हैं। टायर जलाने से कार्बन मोनोऑक्साइड गैस निकलती है। ये इंसानों के लिए सबसे घातक होती है। ग्रामीण इलाकों में कैंसर और टीबी के मरीजों की संख्या बढ़ रही है। लोगों को सांस लेने में परेशानी, दिल की बीमारी और आंखों को नुकसान हो रहा है।

बदबू से परेशान ग्रामीण
टीबी की बीमारी से जूझ रहे ग्रामीण इंद्रसिंह कहते हैं कि ये फैक्टरी बनी है जब से मुझे सांस की बीमारी हो गई है। फैक्टरी बंद होनी चाहिए। टायर जलने से घर के बाहर बहुत बुरी बदबू आती है। बाहर बैठ नहीं सकते और खाना भी नहीं खा सकते।

फैक्टरी से थोड़ी दूरी पर सरकारी स्कूल
टायर फैक्टरी से थोड़ी ही दूसरी पर एक सरकारी स्कूल है। छोटे बच्चे फैक्टरी के जहरीले धुएं का शिकार हो रहे हैं। 17 दिसंबर 2020 को फैक्टरी के बॉयलर में अचानक ब्लास्ट हो गया था। हादसे में मजदूरी करने वाले एक युवक की मौत हो गई थी और उसके पिता घायल हुए थे। 2018 से गांव वाले फैक्टरी को हटाने की मांग कर रहे हैं। सांनडा, तारबर्डी, आमझरी, गोरधनपूरा, जालखेड़ी, दुधली, रामनगर, संधारा, बावड़ीखेड़ा, समतखेड़ी, लेंदी चौराहा, कालाकोट, बिड़गाव, ढाबला माधोसिंह, आपसखेड़ी, नग्गा का डेरा, काकलिया खेड़ी, छापरी और नयाखेड़ा गांव के लोग जहरीले धुएं से परेशान हैं।

2011 की जनगणना के आधार पर जनसंख्या
सांनडा ग्राम पंचायत – 2912

संधारा ग्राम पंचायत – 6475

ढाबला माधौसिंह ग्राम पंचायत -7548

गोरधनपूरा ग्राम पंचायत – 3026

टायर जलाने से कई नुकसान
टायर जलाने से निकलने वाले धुएं में कई तरह के हानिकारक पदार्थ होते हैं, जैसे भारी धातुएं, पॉलीसाइक्लिक एरोमैटिक हाइड्रोकार्बन (पीएएच), डाइऑक्सिन और फ्यूरान। ये प्रदूषक कैंसरकारी माने जाते हैं। इन पदार्थों के संपर्क में रहने से श्वसन, हृदय और प्रजनन प्रणाली पर बुरा असर पड़ सकता है लंबे समय तक इन प्रदूषकों के संपर्क में रहने से अस्थमा, ब्रोंकाइटिस और फेफड़ों के कैंसर जैसी श्वसन संबंधी बीमारियां हो सकती हैं।

टायरों से निकलने वाले पीएम 2.5 और पीएम 10 का द्रव्यमान, टेलपाइपों से निकलने वाले उत्सर्जन से ज्यादा हो सकता है टायरों से निकलने वाले वाष्पशील कार्बनिक यौगिकों की मात्रा, आधुनिक टेलपाइप से निकलने वाले उत्सर्जन से 100 गुना ज्यादा हो सकती है।

SDM चंद्रसिंह ने क्या कहा
गरोठ के SDM चंद्रसिंह सोलंकी ने कहा कि टायर फैक्टरी के संबंध में तहसीलदार कार्यालय में सीएम हेल्पलाइन के तहत शिकायत हुई थी तो उसकी जानकारी ली थी। फैक्टरी संचालक ने बताया था कि हमारे द्वारा फैक्टरी संचालन के नियमों के तहत कार्रवाई की गई है। जो आप बता रहे हैं कि 15 से 20 हजार लोगों के प्रभावित हो रहे हैं। जो पर्यावरण प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड है उनसे जानकारी लेकर पता करता हूं कि फैक्टरी का संचालन विधिवत रूप से हो रहा है या नहीं। अगर फैक्टरी का संचालन विधिवत रूप से नहीं हो रहा है तो कार्रवाई की जाएगी।

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