प्रेमी प्रेमिका का अनोखा विवाह अभी बना हुआ है MP के इस जिले में सुर्खियों में

इंदौर। इंदौर की रहने वाली मूक बधिर लड़की ने खरगोन के रहने वाले मूक बधिर युवक की शुक्रवार को शादी की। यह शादी इंदौर के साथ ही खरगोन जिले में भी खासी सुर्खियों में रही। खरगोन से करीब 6 किमी दूर ठीबगांव का रहने वाला सुनील यादव (27) जन्म से मूक बधिर है। सालभर पहले फेसबुक पर उसकी दोस्ती इंदौर की सुनीता यादव (22) से हुई। वह भी मूक बधिर है। दोनों के बीच दोस्ती का रिश्ता प्रेम में बदल गया। वीडियो चैटिंग के जरिए एक-दूसरे के साइन लैग्वेंज में बात की। दोनों की यह अनोखी प्रेम कहानी परिवारों के सामने पहुंची तो वह भी राजी हो गए। दोनों का विवाह तय कर दिया। गुरुवार को परिवारों में मंडप पूजन हुआ इसके बाद सुनील शुक्रवार रात बारात लेकर सुनीता के घर इंदौर पहुंचा। उससे शादीकर अपने साथ ले आया।

 

 

गांव के भूपेंद्र यादव बताते हैं सुनील व्यवहारिक और सुशील है। वह जन्म से बोल नहीं सकता, लेकिन उसने अपने व्यवहार से अलग पहचान बनाई है। पिता कैलाश यादव बताते हैं कि बेटा जन्म से ही बोलने में असमर्थ था, उसके भविष्य की चिंता हमेशा रहती, लेकिन ऊपर वाले ने ऐसा संयोग बनाया कि वह भी विवाह बंधन में बंध गया।सुनील और सुनीता मिडिल क्लास तक पढ़े हैं। सुनील खेती करता है, जबकि सुनीता इंदौर में रहती है। इसके बावजूद सुनीता ने उसे जीवन साथी चुना है। विवाह को लेकर दोनों ही परिवारों में खुशी का माहौल है। रिश्तेदार हरी यादव, सुभाष यादव बताते हैं कि वे दोनों घंटों मोबाइल पर वीडियो कॉलिंग के जरिए बात करते हैं। दोनों के बीच साइन लैंग्वेज के जरिए प्रेम का संवाद होता है। उन्हें बात करते देखना रोमांचित करने वाला है। इशारों ही इशारों में वह एक-दूसरे के भावों को समझ जाते हैं।

 

 

आस्था ग्राम ट्रस्ट में मूक बधिर बच्चों को शिक्षा का ज्ञान देने वाली मेजर डॉ. अनुराधा बताती हैं कि मूक बधिरों की अपनी भाषा है। इसे साइन लैंग्वेज के रूप में जाना जाता है। साइन भाषा या सांकेतिक भाषा संदेशों को व्यक्त करने के लिए विजुअल एक्शन का उपयोग करती है। साइन भाषा हाथों के उपयोग तक ही सीमित नहीं है। चेहरे की अभिव्यक्तियां, शरीर की गति और इशारे भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। किशोर न्याय बोर्ड की सदस्य व काउंसलर सीमा जोशी बताती हैं कि अभी पति-पत्नी के बीच बढ़ते विवादों के प्रकरण रोज आते हैं। अधिकतर विवाह सामान्य बोलचाल की वजह से होते हैं। ऐसे में शब्दों को महत्व न देते हुए यदि पति-पत्नी भावों को समझें, एक दूसरे के प्रति समर्पण का भाव रखे तो रिश्तों में मधुरता आएगी। मूक बधिर सुनील और सुनीता ने उन्हीं भावों को आधार बनाकर आगे बढ़ने का फैसला लिया है यह आदर्श शादी है।

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