चंडीगढ़। कृषि कानूनों का विरोध कर रहे किसानों ने पंजाब के मलोट में शनिवार को बीजेपी विधायक अरुण नारंग की पिटाई कर दी। यहां तक कि किसानों ने उनके कपड़े तक फाड़ दिए और शरीर पर काली स्याही पोत दी। किसी तरह पुलिसकर्मियों ने विधायक नारंग को भीड़ से निकाल कर बाहर लाने में सफल हुए। बीजेपी विधायक से मारपीट के कई वीडियो वायरल होने के बाद सोशल मीडिया कई राजनीतिक दलों ने पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह को आड़े हाथों लिया है। इस मामले पर ट्विटर पर हैशटैग #Khalistani ट्रेंड कर रहा है। इसमें यूजर कैप्टन को इस हमले का जिम्मेदार ठहरा रहे हैं।
इधर किसान आंदोलन की अगुवाई कर रहे संयुक्त किसान मोर्चा ने विधायक पर हुए इस हमले पर खेद व्यक्त किया है। मोर्चा के नेता दर्शन पाल ने कहा, ‘आज किसानों ने अबोहर से बीजेपी विधायक के खिलाफ विरोध प्रदर्शन किया। प्रतिकूल परिस्थितियों में यह हिंसक हो गया और विधायक पर हमला किया गया।’ उन्होंने एक बयान में कहा, ‘यह खेद की बात है कि एक निर्वाचित प्रतिनिधि के साथ ऐसा व्यवहार किया गया। हम इस तरह के व्यवहार को प्रोत्साहित नहीं करते हैं। हम इस कृत्य की कड़ी निंदा करते हैं।
इस हमले को लेकर बीजेपी ने जोरदार विरोध किया है। पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव अरुण चुग ने इसके लिए अमरिंदर सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि इससे यह उजागर हो गया है कि राज्य में कानून और व्यवस्था पूरी तरह से ध्वस्त हो गई है। उन्होंने इस घटना को नारंग पर जानलेवा हमला करार देते हुए सत्तारूढ़ कांग्रेस पर इसका षड्यंत्र रचने का आरोप लगाया। चुग ने मुख्यमंत्री से इस्तीफे की मांग की है।
इस मामले पर शिरोमणि अकाली दल ने भी इस घटना की निंदा की है। अकाली दल प्रमुख सुखबीर सिंह बादल ने एक निर्वाचित प्रतिनिधि की रक्षा करने में पुलिस की विफलता की जिम्मेदारी तय करने के लिए एक निष्पक्ष जांच की मांग की। शिअद नेता दलजीत सिंह चीमा ने घटना को पीड़ादायक बताते हुए कहा कि लोकतंत्र में हर किसी को अपने विचार रखने का अधिकार है। उन्होंने कहा कि समाज में हिंसा का कोई स्थान नहीं है।
पंजाब कांग्रेस ने भी इस घटना का विरोध किया है। प्रदेश कांग्रेस प्रमुख सुनील जाखड़ ने कहा कि इस तरह के गैरकानूनी व्यवहार का लोकतंत्र में कोई स्थान नहीं है और किसानों का प्रदर्शन इन घटनाओं से कमजोर होगा। उन्होंने हमले को अत्यधिक दुर्भाग्यपूर्ण करार देते हुए कहा कि सभी को अपने विचार रखने की अनुमति दी जानी चाहिए और प्रत्येक नागरिक को एक दूसरे के बोलने के अधिकार का सम्मान करना चाहिए। जाखड़ ने कहा कि किसी को भी कानून और व्यवस्था अपने हाथ में लेने की अनुमति नहीं दी जानी चाहिए।