जबलपुर। मध्य प्रदेश हाई कोर्ट ने सिविल सर्विसेज परीक्षा-2025 में शामिल होने के लिए आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग (ईडब्ल्यूएस) के अभ्यर्थियों को आयु सीमा में पांच वर्ष की छूट देने का सोमवार को जारी अपना अंतरिम आदेश बरकरार रखा।
कोर्ट ने यूपीएससी की उस आपत्ति को स्वीकार नहीं किया, जिसमें कहा गया कि अंतिम स्टेज पर नियम बदलने के कारण व्यावहारिक समस्याएं आएंगी। कोर्ट ने साफ कर दिया कि अभ्यर्थियों के परीक्षा परिणाम विचाराधीन याचिका के अंतिम निर्णय के अधीन होंगे।
कब होगी अगली सुनवाई
मुख्य न्यायाधीश सुरेश कुमार कैत व न्यायाधीश विवेक जैन की युगलपीठ ने अंतिम सुनवाई 24 फरवरी को निर्धारित की है। उल्लेखनीय है कि सोमवार को हाई कोर्ट ने यूपीएससी को अंतरिम आदेश में निर्देश दिया था कि वह सिविल सेवा परीक्षा- 2025 में शामिल होने के लिए आवेदन में ईडब्ल्यूएस के अभ्यर्थियों को पांच वर्ष की छूट प्रदान करे।
याचिकाकर्ताओं ने क्या दी थी दलील
मंगलवार को 16 याचिकाओं की संयुक्त सुनवाई में यूपीएससी की ओर से दलील दी गई कि इस तरह अंतिम समय में पांच वर्ष की आयु सीमा छूट संबंधी अंतरिम आदेश जारी होने से परीक्षा संचालन में परेशानी होगी।
केंद्र की ओर से डिप्टी सालिसिटर जनरल पुष्पेंद्र यादव ने भी कहा कि अंतिम चरण में अंतरिम राहत का पालन करने से यूपीएससी को नए नोटिफिकेशन जारी करने से कई स्तरों पर परेशानी होगी, लेकिन हाई कोर्ट ने इन तर्कों को अस्वीकार कर अपना आदेश बरकरार रखा।
कोर्ट ने कहा कि अभ्यर्थियों को आयु सीमा छूट देकर परीक्षा में शामिल होने दे। आवदेन की अंतिम तिथि मंगलवार, 18 फरवरी होने के कारण समय खराब न किया जाए।
याचिकाकर्ता की ओर से दिए गए तर्क
वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए सुनवाई से जुड़े वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने सतना निवासी याचिकाकर्ता आदित्य नारायण पांडेय की ओर से दलील दी कि यूपीएससी द्वारा पूर्व में भी समय-समय पर विभिन्न परीक्षाओं के अभ्यर्थियों को आयु सीमा में छूट दी गई है और प्रतिभाग बढ़ाए गए हैं।
सोमवार को सुनवाई के दौरान भी दलील दी गई थी कि अन्य सभी आरक्षित वर्ग एससी, एसटी व ओबीसी को आयु सीमा में छूट दी जाती है। ईडब्ल्यूएस भी आरक्षित श्रेणी है, इसलिए उन्हें भी लाभ दिया जाना चाहिए।