ग्वालियर। ग्वालियर के राजा मानसिंह तोमर और गुजरी रानी मृगनयनी की प्रेम कहानी दुनियां की मशहूर प्रेमकथाओं में शुमार है। ग्वालियर के राजा ने अपनी प्रेमिका से शादी की खातिर गुजरी महल बनवाया और राई गांव से पानी महल तक लेकर आए। आज साढ़े पांच सौ साल बाद भी ये प्रेमकथा भी अमर है।
राजा मानसिंह और गुजरी की ऐतिहासिक प्रेम कहानी
ग्वालियर किले की तलहटी में बना गुजरी महल एक महान प्रेमकथा का गवाह है। जी हां सन 1486 में तोमर वंश के राजा मानसिंह ग्वालियर के शासक बने। एक दिन राजा मानसिंह ग्वालियर से करीब 25 किलोमीटर दूर राई गांव के जंगल में शिकार करने पहुंचे थे। उस दौरान रास्ते में दो बड़े जानवरों को लड़ता देखा, जब जानवर लड़ रहे थे, तभी एक सुंदर सी युवती ने दोनों जानवरों को पकड़कर अलग कर दिया। राजा मानसिंह ने ये नजारा देख रहे थे, सुंदर और बेहत ताकतवर युवती को देख राजा मानसिंह ने उसे अपनी रानी बनाने की ठान ली। राजा मानसिंह ने युवती से पूछा तो उसने अपना नाम निन्नी गुजरी बताया। राजा ने निन्नी के सामने प्रेम का इजहार करते हुए शादी का प्रस्ताव रखा। निन्नी ने राजा का प्रस्ताव स्वीकार करने के लिए तीन शर्तें रखी।
– पहली शर्त थी कि निन्नी के लिए राजा मानसिंह को नया महल बनाना पड़ेगा वो दूसरी रानियों के साथ महल पर नहीं रहेंगी।
– दूसरी शर्त थी कि निन्नी राई गांव का ही पानी इस्तेमाल करेगी और
– तीसरी शर्त थी कि युद्ध के दौरान निन्नी हमेशा राजा के साथ रहेगी।
राजा मानसिंह ने निन्नी की सभी शर्ते मान ली। राजा ने निन्नी की सुंदर आंखों के चलते उसे मृगनयनी नाम दिया। राजा मानसिंह ने किले पर रानी के लिए अलग महल बनाने का विचार किया, लेकिन किले पर राई गांव का पानी चढ़ाना मुश्किल था, आखिर में उस दौर के देशी इंजीनियरों ने राजा को किला तलहटी में महल बनाने का सुझाव दिया। आखिर में रानी मृगनयनी के लिए किले की तलहटी में आलीशान महल बनाया गया। और पाइप के जरिए इसमें राई गांव से पानी लाने का इंतजाम किया गया।
महान संगीत प्रेमी राजा मानसिंह के अमर प्रेम की निशानी
ग्वालियर रियासत के राजपूत शासक मानसिंह तोमर को तोमर राजवंश का महान राजा माना जाता है। राजा मानसिंह तोमर महान योद्धा होने के साथ ही न्यायप्रिय, संगीतप्रिय शासक माने जाते थे। राजा मानसिंह स्थापत्य शैली के जानकार भी थे यही वजह है कि मानसिंह के शासन काल में स्थापत्य कला , संगीत, साहित्य, व्यापार के क्षेत्र में काफी काम हुए। जिसके चलते राजा मानसिंह के शासनकाल को ग्वालियर के इतिहास का ‘स्वर्ण युग’ कहा जाता है। अपनी रानी के प्रेम में बनाए गए गुजरी महल को देखने के लिए लोग दूर दूर से आते है, आज की पीढ़ियां अपने घरों में राजा मानसिंह और गुजरी रानी की प्रेम कथा सुनती है तो प्रेम की इस निशानी को देखने चले आते हैं।
साढ़े पांच सौ साल से प्रेम गाथा सुना रहा गुजरी महल
ऐसा माना जाता है कि 1486 से 1516 के बीच ये महल बनकर तैयार हुआ जो आज पांच सौ साल बाद दुनिया की सबसे प्रमुख प्रेम कथा की निशानी के तौर पर खड़ा है। गूजरी महल 71 मीटर लम्बा और 60 मीटर चैड़ा आयताकार महल है जिसके अंदरुनी भाग में बड़ा आंगन है। इसमें हाथी, मयूर, झरोखे है तो बाहरी भाग में गुम्बदाकार छत्रियों खास है, मुख्य द्वार पर फारसी शिलालेख पर इसके निर्माण का उल्लेख है। महल को रंगीन टाइलों से सजाया गया था, इस महल के अंदर सन 1920 में पुरातात्विक संग्रहालय की स्थापना हुई थी, सन् 1922 में इसे सैलानियों के लिये खोला गया था। संग्रहालय के 28 कक्षों में मध्य प्रदेश की ईसापूर्व दूसरी शती से लेकर 17 वीं शताब्दी तक की विभिन्न कलाकृतियां और पुरातात्विक धरोहर रखीं है। गुजरी महल स्थित संग्रहालय मध्यप्रदेश का सबसे पुराना संग्रहालय है