विजयपुर उपचुनाव: भाजपा की चुनौती बढ़ी, पूर्व विधायक टिकट के दावेदार, कांग्रेस की एकजुटता भी सिरदर्द
भोपाल। मध्य प्रदेश के विजयपुर विधानसभा सीट पर होने वाले उपचुनाव में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के लिए नई चुनौतियाँ उत्पन्न हो गई हैं। लोकसभा चुनाव के समय संकट में फंसी पार्टी के लिए संकटमोचक बनकर आए रामनिवास रावत को भाजपा द्वारा उम्मीदवार बनाए जाने की संभावना है। लेकिन, पार्टी के पूर्व विधायक टिकट की दौड़ में शामिल होकर रावत और भाजपा की मुश्किलें बढ़ा रहे हैं।
भाजपा के भीतर टिकट की होड़:
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सीताराम आदिवासी: पूर्व विधायक सीताराम आदिवासी, जो सहरिया जनजाति वर्ग से आते हैं और विजयपुर में आदिवासी मतदाता महत्वपूर्ण संख्या में हैं, टिकट के दावेदार हैं। सीताराम के असंतोष को दूर करने के लिए मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने उन्हें भोपाल बुलाया था और उनके लिए अच्छी नियुक्तियों का आश्वासन दिया गया है।
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बाबूलाल मेवरा: भाजपा के पूर्व विधायक बाबूलाल मेवरा भी टिकट की मांग कर रहे हैं। उन्होंने 1985 और 1998 में भाजपा के टिकट पर विजयपुर से विधायक का पद संभाला था। मेवरा का कहना है कि जिनके खिलाफ उन्होंने पूरी जिंदगी चुनाव लड़ा, अब उन्हीं के लिए वोट कैसे मांगे? हालांकि, टिकट न मिलने पर उनकी रणनीति अभी तक स्पष्ट नहीं है।
मुख्यमंत्री के प्रयास: मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने विजयपुर में एक माह पहले दौरे के दौरान 15 सड़कों और दो नहरों के निर्माण की घोषणा की। इसके अलावा, उन्होंने एक गौ संरक्षण अभ्यारण बनाने की बात भी कही। इन घोषणाओं को विजयपुर उपचुनाव से जोड़कर देखा जा रहा है, जो भाजपा की विजयपुर सीट जीतने की रणनीति का हिस्सा है।
लाड़ली बहनों को सौगात: भाजपा उपचुनाव में विजयपुर में लाड़ली बहनों को राशि ट्रांसफर और रक्षाबंधन के नेग देने के लिए विशेष कार्यक्रम का आयोजन कर रही है। यह रणनीति भाजपा के द्वारा विधानसभा चुनावों में कांग्रेस को हराने के लिए अपनाई गई थी।
कांग्रेस की एकजुटता: विजयपुर विधानसभा सीट पर कांग्रेस लगातार 6 चुनाव जीतती आ रही है और इस बार भी कांग्रेस ने पूरी ताकत झोंक दी है। मुरैना-श्योपुर से पूर्व लोकसभा प्रत्याशी नीटू सिकरवार कांग्रेस को एकजुट कर रहे हैं, जिससे भाजपा के लिए विजयपुर उपचुनाव की राह आसान नहीं दिख रही है।
इस परिदृश्य में, भाजपा विजयपुर सीट पर अपनी स्थिति मजबूत करने के लिए हर संभव प्रयास कर रही है, जबकि कांग्रेस की एकजुटता और पूर्व विधायकों की टिकट की मांग भाजपा की रणनीति को चुनौती दे रही है।
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