ग्वालियर। वायरल बुखार से पीड़ित बच्चों का सीआरपी लेवल बढ़ा मिल रहा है। इससे 60 प्रतिशत बच्चे प्रभावित हैं। चिकित्सक सीआरपी लेवल बढ़ने का कारण वायरल इंफेक्शन की प्रकृति में बदलाव बता रहे हैं। जिला अस्पताल के बाल व शिशु रोग विभाग में इस तरह की परेशानी से प्रभावित छह से सात बच्चे रोजाना पहुंच रहे हैं। बताते हैं कि कोरोना में भी संक्रमित लोगों में सीआरपी (सी-रिएक्टिव प्रोटीन) का लेवल बढ़ जाता था।
चिकित्सक बताते हैं कि सीआरपी शरीर में इंफेक्शन होने पर बढ़ता है। लंबे समय तक बढ़ा रहने से इसका असर हृदय फेफड़े पर पहुंच सकता है। हाईग्रेड फीवर के साथ सीआरपी लेवल बढ़े हुए बच्चों या बड़ों पर सामान्य दवाएं उतना असर नहीं करती। जांच व लक्षणों के अनुसार एंटीबायोटिक दवाएं भी देनी पड़ रही हैं। सामान्य व्यक्ति में सीआरपी लेवल शून्य से छह मिलीग्राम प्रति लीटर होना चाहिए।
शरीर में कोई इंफेक्शन होने पर सीआरपी लेवल बढ़ जाता है। सी-रिएक्टिव प्रोटीन टेस्ट से एक्यूट इन्फ्लमेशन का पता लगता है। वायरल ठीक होने में ले रहा समय:वायरल के साथ सीपीआर बढ़ा आने के कारण बच्चों को ठीक होने से चार से सात दिन लग रहे हैं। साथ ही सीपीआर बढ़ा होने से लाल दाने निकलने, खुजली, चिड़चिड़ापन बच्चों में नजर आ रहा है। बच्चों के साथ वायरल फीवर परिवार के सदस्यों को भी अपनी चपेट में ले रहा है।
सीआरपी क्या है
सी-रिएक्टिव प्रोटीन (सीआरपी) लीवर द्वारा बनाया जाने वाला प्रोटीन है। शरीर में सूजन होने पर सीआरपी का स्तर बढ़ जाता है। एक साधारण रक्त परीक्षण से सी-रिएक्टिव प्रोटीन के स्तर की जांच की जाती है वायरल बुखार से पीड़ित काफी बच्चों में सीपीआर बढ़ा हुआ मिल रहा है। सीआरपी लेवल बढ़ा होना सामान्यत: शरीर में किसी इंफेक्शन के होने का संकेत होता है। यह किसी भी तरह का हो सकता है। कई बार इंफेक्शन न होने पर भी लेवल बढ़ा हो सकता है। इसके कारण यूं ही एंटीबायोटिक दे दिया जाना उचित नहीं होता। जांच व आवश्यकतानुसार ही एंटीबायोटिक दिए जाते हैं।