भोपाल। कमलनाथ और दिग्विजय सिंह ने ग्वालियर-चंबल क्षेत्र की जनता से झूठ बोला है। क्षेत्र के साथ अन्याय किया है। प्रदेश में कांग्रेस की सरकार ग्वालियर-चंबल क्षेत्र के दम पर ही बनी थी और जनता सिंधिया को मुख्यमंत्री देखना चाहती थी। लेकिन दिग्विजय-कमलनाथ ने इस क्षेत्र के साथ छल किया और कमलनाथ मुख्यमंत्री बन गए। अब इस क्षेत्र की जनता पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ से यह जानना चाहती है कि उन्होंने ग्वालियर- चंबल क्षेत्र के विकास के लिए क्या काम किया? क्यों इस क्षेत्र के विकास और सम्मान की पीठ में छुरा घोंपा? यह बात भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष Vishnudutt Sharma ने बुधवार को मीडिया से चर्चा के दौरान कहा कि कमलनाथ ने इस क्षेत्र के विकास के लिए कुछ नहीं किया। उन्होंने चंबल प्रोग्रेस वे को रद्द कर दिया था, जिसकी पहल भाजपा की सरकार ने की थी। अन्य परियोजनाओं के लिए उनके पास पैसा नहीं था। जो कमलनाथ मुख्यमंत्री रहते हुए कभी ग्वालियर नहीं आए, वो अब किस मुंह से ग्वालियर आ रहे हैं।
कमलनाथ बताएं, मध्यप्रदेश से क्या रिश्ता
शर्मा ने कहा कि कांग्रेस अंतरराष्ट्रीय झूठ मंडली है। उसके दिग्विजय सिंह जैसे नेता किसी भी बात पर सवाल कर सकते हैं। भारत ने पाकिस्तान में सर्जिकल स्ट्राइक की, जिसे सारी दुनिया ने माना था। लेकिन दिग्विजय सिंह उस पर भी सवाल खड़े करते हैं और सबूत मांगते हैं। श्री शर्मा ने कहा कि अगर हम कांग्रेस के स्तर तक नीचे जाएं, तो हम भी पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ से यह पूछ सकते हैं कि वो कब से मध्यप्रदेश में हैं और मध्यप्रदेश से उनका क्या रिश्ता है? लेकिन हम इतने हल्के स्तर पर जाना नहीं चाहते।
माफिया चला रहा था कांग्रेस सरकार
शर्मा ने कहा कि तत्कालीन कांग्रेस सरकार के एक कैबिनेट मंत्री उमंग सिंघार ने ही यह आरोप लगाया था कि सरकार के निर्णय कैबिनेट की बैठक में नहीं होते, बल्कि दिग्विजयसिंह पर्दे के पीछे से सरकार चला रहे थे। सारे फैसले पर्दे के पीछे से हो रहे थे और माफिया कांग्रेस की सरकार को चला रहा था। उन्होंने कहा कि इस मुद्दे पर कमलनाथ को प्रदेश की जनता को जवाब देना चाहिए।
सिर्फ छिंदवाड़ा के मुख्यमंत्री थे
प्रदेश अध्यक्ष ने कहा कि मुख्यमंत्री रहते हुए भी कमलनाथ को सिर्फ छिंदवाड़ा ही दिखाई देता था। पन्ना में 300 करोड़ की लागत से खुलने वाला एग्रीकल्चर कॉलेज कमलनाथ छिंदवाड़ा ले गए। सिंचाई परियोजनाओं को छिंदवाड़ा ले गए। ऐसा लगता था, जैसे कमलनाथ सिर्फ छिंदवाड़ा के मुख्यमंत्री थे, ग्वालियर या प्रदेश के अन्य जिलों की उन्हें चिंता नहीं थी। सिंधिया जी और उनके साथियों ने ग्वालियर-चंबल के हित के लिए, प्रदेश को बचाने के लिए इस्तीफा दिया और सरकार चली गई।