ग्वालियर। शहर में चंबल नदी का पानी लाने का रास्ता सुगम हो गया है। वन विभाग ने इस परियोजना के लिए एनओसी दे दी है। अब डीपीआर बनाने का काम शुरू किया जा रहा है। हालांकि इस प्रोजेक्ट को पूरा होने में लगभग 3 साल का समय लगेगा। लेकिन चंबल का पानी आने से लगभग 20 लाख लोगों की पानी किल्लत दूर हो जाएगी।
पिछले कुछ सालों से पानी की किल्लत से जूझ रहे ग्वालियर शहर को कुछ ही सालों में चंबल का पानी मिलने लगेगा। इस परियोजना को पूरा करने के लिए फॉरेस्ट विभाग की एनओसी जरूरी थी, जो अभी तक मिल नहीं पा रही थी। लेकिन अब ये एनओसी मिलने से परियोजना की अड़चन दूर हो गई है।
ग्वालियर और मुरैना के लिए 240 एमएलडी लगभग 24 करोड लीटर पानी प्रतिदिन लेने की शर्त पर यह एनओसी दी गई है। इसमें 150 एमएलडी पानी ग्वालियर और 90 एमएलडी मुरैना को दिया जाएगा।
वन विभाग की एनओसी मिलने के बाद जिला प्रशासन ने डीपीआर बनाने का काम तेज कर दिया है। अगली प्रक्रिया में अब रेलवे और एनएचएआई से भी एनओसी ली जाएगी। प्रारंभिक तौर पर इस परियोजना में जो सर्वे किया गया है। उसके अनुसार चंबल से हाईवे के किनारे पाइप लाइन के जरिए ग्वालियर के तिघरा तक पानी लाया जाएगा और तिघरा से यह पानी ग्वालियर शहर में सप्लाई किया जाएगा।
हालांकि चंबल से पानी लाने की प्रक्रिया पिछले 15 सालों से चल रही है। लेकिन अभी तक इसकी शुरुआत भी नहीं हो पाई है। विपक्षी दल कांग्रेस ने इसे सिर्फ एक घोषणा बताया है। इस पर कांग्रेस का कहना है कि चुनाव से पहले बीजेपी चंबल से पानी लाने की बात करती है और चुनाव होने के बाद भूल जाती है।
चंबल से पानी लाने की परियोजना पूरी हो जाती है, तो ग्वालियर के आसपास बने ककैटो और पहसारी बांध पर दबाव कम हो जाएगा। क्योंकि शहर में बने तिघरा का पानी जब सूख जाता है ,तो इन दोनों ही डेमों से लिफ्ट करके पानी तिघरा तक लाया जाता है तब लोगों की प्यास बुझाई जाती है।
ग्वालियर शहर में नल जल योजना पूरी करने के लिए पानी की कई टंकियां बनाई गई है लेकिन अभी तक वहां पर्याप्त पानी पहुंचाने के संसाधन कम ही हैं। ऐसे में चंबल का पानी शहर तक पहुंचेगा तो पानी की टंकियां भी भर जाएंगी और जगह-जगह जहां कटौती करके पानी दिया जा रहा है वो समस्या भी खत्म हो जाएगी।